ग्वालियर, अतुल सक्सेना। हमारी रोजमर्रा के जरुरत के सामान को हम तक पहुंचाने वाले ट्रक ड्राइवर (truck driver) बहुत से समस्याओं का सामना करते हैं उन्हीं से से एक है आंखों की रोशनी। आमतौर पर इसके प्रति वे लापरवाह भी होते हैं लेकिन केंद्र सरकार सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से ट्रक ड्राइवरों का नेत्र परीक्षण कराती है जिससे उन्हें किसी भी संभावित परेशानी से बचाया जा सके।
केंद्रीय सड़क, परिवहन, एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के सहयोग से ग्वालियर (Gwalior News) में अलख सामाजिक एवं जनकल्याण समिति ने ट्रक ड्राइवरों के लिए निःशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर (Free eye test camp) आयोजित किये। 25 मई से 2 जून तक आयोजित निःशुल्क नेत्र शिविरों में लगभग 800 ट्रक ड्राइवरों एवं अन्य लोगों ने नेत्र परीक्षण कराया।
संस्था के सचिव जावेद खान के मुताबिक निःशुल्क नेत्र शिविरों का आयोजन शहर के आसपास के विभिन्न टोल प्लाजा पर किया गया। जहाँ शहर के अनुभवी नेत्र चिकित्सकों ने ट्रक ड्राइवरों का नेत्र परीक्षण किया। जिनकी आंखों की रोशनी कम थी उन्हें निःशुल्क चश्मे और दवाई दी गई।
उन्होंने बताया कि शिविरों की श्रंखला के दौरान परिवहन विभाग के अपर आयुक्त अरविंद कुमार सक्सेना, परिवहन उप निरीक्षक विमित गुप्ता और यातायात पुलिस के कर्मचारियों ने भी ट्रक ड्राइवरों को निशुल्क नेत्र परीक्षण करवाने के प्रति प्रेरित किया। नेत्र परीक्षण शिविर कार्यक्रम के दौरान सड़क सुरक्षा, यातायात जागरूकता अभियान को आगे बढ़ाते हुए ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने इस अभियान के लिए बनाए गए खास पोस्टर का विमोचन किया ।
इस मौके पर बीजेपी के पूर्व पार्षद और एमआईसी मेंबर धर्मेंद्र राणा, दिनेश दीक्षित, आदर्श शर्मा सहित अनेक पदाधिकारी मौजूद थे ।
शिविर में एक ट्रक ड्राइवर रामरूप शर्मा ने भी अपनी आंखों की जांच करवाई , उनकी पास की रोशनी कम थी डॉक्टर्स ने परीक्षण के बाद उन्हें मुफ्त दवा और चश्मा दिया। चश्मा मिलते ही रामरूप के चेहरे पर ख़ुशी आ गई, उन्हें साफ दिखाई देने लगा , उन्होंने ट्रक की स्टेयरिंग संभाली और अपने गंतव्य की तरफ निकल गए।
About Author
Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....