जज की पत्नी की कार के नम्बर पर कोई चला रहा था स्कूटी, ई-चालान पहुंचा तो पकड़ में आया आरोपी, सुनाई ये कहानी

पुलिस उस गाड़ी तक पहुंच गई य इक स्कूटी निकली, पुलिस ने स्कूटी चलाने वाले से इसकी वजह पूछी तो उसने बताया कि स्कूटी उसकी नहीं है , ये उसने गिरवी रखी है, गिरवी रखने वाले को पता नहीं चले इसलिए वो फर्जी नंबर लगाकर इसे चला रहा है।

Atul Saxena
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Crime Branch Police Gwalior

Gwalior News : ग्वालियर पुलिस द्वारा भेजा गया  एक ई चालान जज के घर पहुंचा लेकिन जिस कार के नंबर का चालान था वो घर में खड़ी थी, पुलिस को जब ये बात पता चली तो उसके कान खड़े हो गए कि ऐसा कौन कर रहा हैं, पुलिस ने उस नंबर की गाड़ी पर नजर रखना शुरू की तो एक स्कूटी सवार पकड़ में आया, पुलिस ने जब उससे पूछताछ शुरू की तो उसने कुछ अजीब ही कहानी सुनाई।

जज की पत्नी की कर घर में थी पहुंच गया ई चालान 

ग्वालियर शहर में रहने वाले एक जज साहब शहर के बाहर पदस्थ हैं यहाँ उनकी पत्नी और परिवार रहता है, पिछले दिनों उनके घर एक ई-चालान पहुंचा, चालान जिस गाड़ी का किया गया था वो उनकी पत्नी की थी और उसपर सिग्नल तोड़ने के आरोप थे, जबकि उनकी पत्नी की गाड़ी घर में खड़ी थी।

क्राइम ब्रांच ने शुरू की आरोपी की तलाश  

जज साहब ने पुलिस से बात की, मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया, जज से जुड़ा मामला होने के कारण एडिशनल एसपी क्राइम , सीएसपी क्राइम और टी आई क्राइम जैसे बड़े अधिकारी एक्टिव हुए और चौराहों पर उस जज साहब की पत्नी की कार की नंबर प्लेट वाली गाड़ी तलाश करने लगे।

कार के नंबर पर दौड़ रही थी स्कूटी, आरोपी पकड़ा 

दो दिन की मेहनत के बाद पुलिस उस गाड़ी तक पहुंच गई य इक स्कूटी निकली, पुलिस ने स्कूटी चलाने वाले से इसकी वजह पूछी तो उसने बताया कि स्कूटी उसकी नहीं है , ये उसने गिरवी रखी है, गिरवी रखने वाले को पता नहीं चले इसलिए वो फर्जी नंबर लगाकर इसे चला रहा है। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है, मामला जज से जुड़ा होने के कारण क्राइम ब्रांच बारीकी से सभी एंगल पर जाँच कर रही है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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