नहीं थम रहा अवैध उत्खनन, वन विभाग के आला अधिकारी कर रहे लीपापोती

Atul Saxena
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मुरैना, नितेंद्र शर्मा। कोरोना काल में जहाँ सभी तरह के वैध काम भी बंद रहे, वहां मुरैना जिले में वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन  बेखौफ  चलता रहा। बार बार शिकायतों के बाद भी वन विभाग के आला अधिकारी आँख और कान बंद किये बैठे रहते हैं  जिसे देखकर कहा जा सकता है कि वन विभाग उसके आगे घुटने टेकता नजर आ रहा है।  ये बात अलग है कि जब मीडिया सवाल करती है तो वन विभाग के अधिकारी जांच और कार्रवाई की बात कर अपने दायित्व का निर्वहन कर लेते हैं।

अवैध उत्खनन का मामला मुरैना जिले के जौरा तहसील में दिखाई दिया। जौरा तहसील के मजरा गांव और काशीपुर गांव के बीच में वन विभाग की नरेला बीट पर अवैध पत्थर, खंडों का खनन कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाता हुआ नजर आया।  एक तरफ वैध रूप से संचालित कार्यों को सरकार ने करोना महामारी से निपटने के लिए बंद करवा रखा था तो वहीं वन विभाग की लापरवाही के चलते वन क्षेत्र के मुनारे से 20 मीटर की दूरी पर पत्थर(खंडों) का अवैध उत्खनन होता रहा  खास बात ये है कि ये अवैध उत्खनन उस क्षेत्र में हो रहा है जहाँ से वैध पत्थर की खदान 250 मीटर की दूरी पर वन क्षेत्र के मुनारे से दूर है।

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इसी प्रकार का दूसरा मामला द्वारा के जोड़ ग्राम पंचायत के नरेला गांव में देखने को मिला जहां इस गांव के सरपंच ने 2 किलोमीटर की सड़क वन विभाग के अधिकृत क्षेत्र में बिना स्वीकृति के बना दी।  ये सड़क वन विभाग के मुनारे मु. क्रम 181 वीट चंद्रपुरा और बाकी के 2 किलोमीटर क्षेत्र में जितने मुनारे आते हैं वहां से अवैध रूप से वन क्षेत्र की पहाड़ी व वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली आसपास की जगह से मुरम जेसीबी से खुदवा कर सड़क पर डाल दी, जब एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने क्षेत्र की रेंजर से बात की तो उन्होंने बताया कि 11/05/2021 को सरपंच को नोटिस दिया गया। रेंजर दीपमाला शिवहरे ने तो यहाँ  तक कह दिया कि मुनारे के अंदर का वन क्षेत्र नहीं है वह रेवन्यू के अंतर्गत आता है उनका सीमांकन कराया जाएगा।  रेंजर की इस बात से साफ़ पता चलता है कि है कि उन्हें अपने क्षेत्र के बारे में जानकारी नहीं या फिर वन विभाग सरकारी पैसों से जहां मर्जी वहां अपने मुनारे लगवा देता है।

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पूरे मामले पर जब हमने डीएफओ मुरैना अमित वसंत निकम से बात की तो वह भी इस मामले से साफ हाथ झाड़ते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि अब आपने मुझे जानकारी दी है तो इसकी जाँच करवाकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। बड़ी बात ये हैं कि 2 जून को एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ पर खबर लगने के बाद भी आज तक हालात जस के तस हैं।

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सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता करने वाली जब एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने एक बार फिर डीएफओ अमित वसंत निकम के पास पहुँच गई।  हमारे संवाददाता  डीएफओ निकम से अवैध उत्खनन करने वालों पर कार्रवाई पर सवाल किया तो वे फिर से जाँच की बात करने लगे।  उन्होंने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ के संवाददाता से कहा कि आपसे मिले फीडबैक के चार पांच दिन बाद ही  हम क्षेत्र में गए थे हमने जाँच शुरू कर दी है जो भी दोषी होगा उसपर कार्रवाई की जाएगी। एक बार फिर जब समय की बात की गई तो डीएफओ अमित वसंत निकम ने कहा कि एक सप्ताह में जाँच पूरी हो जाएगी।

यहाँ डीएफओ के बयान से एक बात तो साफ़ है कि या तो उन्हें अपने क्षेत्र में हो रहे अवैध उत्खनन की जानकारी नहीं है या फिर वो आँख बंद कर सब कुछ देख रहे हैं लेकिन मासूम बने हुए हैं।  यहाँ एक बात और गौर करने वाली है कि हमारे संवाददाता ने जब सीसीएफ से इस सम्बन्ध में बात की तो उन्होंने भी कहा कि आप बताइए कि कहाँ अवैध उत्खनन हो रहा है हम कार्रवाई कराएंगे। वन विभाग के आला अधिकारीयों की बात से साफ़ है कि वन विभाग के फील्ड अधिकारी और कर्मचारी कुछ नहीं जानते, ना उन्हें कुछ दिखाई देता है और ना कुछ सुनाई देता है।  बहरहाल अब देखना ये हैं कि मीडिया  को जो दिखाई दिया वो असल में डीएफओ अमित वसंत निकम को दिखाई देता है कि नहीं और वे सात दिन बाद क्या जवाब देते हैं ?

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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