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Fri, Dec 5, 2025

इंदौर सराफा में सिर्फ पारंपरिक फूड की एंट्री, चाइनीज वालों पर गिरी गाज

Written by:Bhawna Choubey
इंदौर की मशहूर सराफा चौपाटी एक बार फिर विवादों में है। नगर निगम ने साफ कहा है कि अब यहां सिर्फ पारंपरिक व्यंजन ही बेचने वालों को अनुमति मिलेगी, जबकि चाइनीज और मेमोज वाले हटाए जाएंगे, जिससे दुकानदारों में नाराज़गी और बढ़ गई है।
इंदौर सराफा में सिर्फ पारंपरिक फूड की एंट्री, चाइनीज वालों पर गिरी गाज

इंदौर (Indore) का सराफा बाजार, दिन में सोने-चांदी का कारोबार और रात में सुगंध से भरी स्ट्रीट फूड की रौनक… यही पहचान इस जगह को देशभर में सबसे अनोखा बनाती है। लेकिन इसी सराफा चौपाटी में पिछले कुछ दिनों से उथल-पुथल मची हुई है। दुकानों की अनुमति, पुरानी परंपराओं और नए खाद्य व्यापारियों के बीच खींचतान अब खुलकर सामने आ चुकी है।

शनिवार को हटाए गए कई दुकानदारों ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव से मुलाकात कर शिकायतें रखीं। उनका आरोप है कि वर्षों से दुकान लगाने वाले लोगों के नाम सूची में नहीं हैं, जबकि सिर्फ तीन-चार साल पहले आए दुकानदार सूची में शामिल कर लिए गए। महापौर ने आश्वासन तो दिया, लेकिन विवाद अब भी गरमाया हुआ है। इंदौर के इस ऐतिहासिक खाद्य स्थल पर आखिर हो क्या रहा है? और इसका असर सराफा की पहचान पर कितना पड़ेगा? आइए पूरी खबर समझते हैं।

पारंपरिक व्यंजन बनाम चाइनीज फूड

इंदौर नगर निगम द्वारा हाल ही में जारी की गई 69 दुकानों की स्वीकृत सूची ने सराफा चौपाटी का माहौल अचानक गर्म कर दिया है। बताया गया कि यह सूची सराफा चाट-चौपाटी एसोसिएशन और सराफा व्यापारी एसोसिएशन ने मिलकर बनाई है। लेकिन हटाए गए 100 से अधिक दुकानदारों का आरोप है कि इस सूची में भारी गड़बड़ी है। उनका कहना है कि पुरानी और पारंपरिक दुकानों को नजरअंदाज किया गया, नए व्यापारियों को सूची में जगह मिल गई, कई चाइनीज फूड, मेमोज और नॉन-पारंपरिक व्यंजन वाले भी सूची में शामिल हैं। इसी को लेकर दुकानदारों ने महापौर से शिकायत की और मांग की कि पारंपरिक व्यंजन की पहचान वाली सराफा चौपाटी में सिर्फ स्थानीय और पुराने व्यंजनों को ही जगह मिले।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, “चाइनीज और मेमोज वालों को बाहर किया जाएगा”

दुकानदारों की शिकायतों के बाद महापौर ने साफ कहा कि सराफा चौपाटी की पहचान इंदौरी पारंपरिक फूड है। ऐसे में अगर सूची में मेमोज या चाइनीज फूड वाले शामिल हैं, तो वे निश्चित रूप से हटाए जाएंगे। महापौर के मुख्य बयान सराफा में सिर्फ पारंपरिक व्यंजनों की दुकानें रहेंगी। सूची में शामिल चाइनीज या मेमोज वाली दुकानें रद्द की जाएंगी। अगर कोई पुराना दुकानदार सूची से बाहर रह गया है, तो आवेदन देकर उसे शामिल किया जा सकता है। 69 दुकानों की संख्या कम या ज्यादा भी की जा सकती है। इस बयान ने हटाए गए दुकानदारों को थोड़ी उम्मीद दी है, लेकिन विवाद फिलहाल खत्म होने की स्थिति में नहीं दिखता।

हटाए गए दुकानदारों की नाराज़गी

शनिवार को हुई मुलाकात में दुकानदारों ने बताया कि कई लोग 20–25 साल से सराफा में पारंपरिक व्यंजन बेच रहे थे, उनकी दुकानों को बिना कारण सूची से हटा दिया गया उल्टे, तीन-चार साल से दुकान लगाने वालों को मंजूरी दी गई, निगम ने उन्हें किसी वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था भी नहीं की दुकानदारों का कहना है कि सराफा चौपाटी का इतिहास सिर्फ खाने से नहीं, बल्कि परिवारों की रोज़ी-रोटी से भी जुड़ा है। इसलिए बिना कारण हटाए जाने से उनका भविष्य संकट में पड़ गया है।

कांग्रेस भी कूदी मैदान में: ‘सराफा को बारूद के ढेर पर बैठा दिया’

सराफा चौपाटी विवाद अब राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। कांग्रेस नेता चिंटू चौकसे ने आरोप लगाया नगर निगम ने सराफा बाजार की ऐतिहासिक धरोहर का मजाक बना दिया है।, सूची में भाजपा नेताओं के रिश्तेदारों के नाम जोड़ दिए गए।, सराफा की पहचान पारंपरिक व्यंजन हैं, लेकिन अनुमति देने में पारदर्शिता नहीं रखी गई। कांग्रेस का दावा है कि अगर पारदर्शिता नहीं रखी गई, तो यह विवाद और गहराएगा। इससे सराफा जैसे लोकप्रिय फूड स्पॉट की छवि पर भी असर पड़ेगा।

सराफा बाजार सिर्फ इंदौर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मिडनाइट फूड कल्चर का प्रतिनिधित्व करता है। यहां का हर व्यंजन पोहा, दही बड़ा, गराड़ू, भुट्टे का किस, मालपुआ एक स्थानीय पहचान है। इसीलिए नगर निगम का फैसला कि सराफा में सिर्फ पारंपरिक व्यंजन ही बेचे जाएंगे, एक तरह से सांस्कृतिक संरक्षण की कोशिश भी माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह फैसला पूरी तरह निष्पक्ष तरीके से लागू हो रहा है?

विवाद का इंदौर की फूड संस्कृति पर क्या असर पड़ेगा?

1. पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा जरूर मिलेगा
इंदौर की असली पहचान वापस चमकेगी। बाहर से आने वालों को एक वास्तविक और स्थानीय अनुभव मिलेगा।

2. लेकिन 100 से अधिक दुकानदारों की रोज़ी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है
अगर सही तरीके से समाधान नहीं निकाला गया तो बड़ी संख्या में दुकानदार बेरोजगार हो सकते हैं।

3. सराफा की तंगी और भीड़ बढ़ेगी
सिर्फ 69 दुकानदारों को अनुमति देने से विकल्प कम हो जाएंगे, जिससे भीड़ प्रबंधन की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

4. राजनीति और व्यापार का टकराव बढ़ सकता है
कांग्रेस के आरोपों के बाद अब यह सिर्फ प्रशासनिक मुद्दा नहीं, बल्कि राजनीतिक सवाल भी बन गया है।

आगे क्या? क्या सूची में और भी बदलाव होंगे?

महापौर के संकेत दर्शाते हैं कि सूची जल्द ही संशोधित की जा सकती है। शिकायतें सही पाई गईं तो चाइनीज, मेमोज और गैर-पारंपरिक दुकानों को बाहर किया जाएगा, पारंपरिक और वर्षों से दुकान लगाने वालों को जोड़ा जाएगा, निगम का कहना है कि सब कुछ पारदर्शिता और पहचान की रक्षा को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। लेकिन जब तक अंतिम सूची नहीं आती, सराफा चौपाटी का माहौल तनावपूर्ण ही रहेगा।