इंदौर,आकाश धोलपुरे। इंदौर (indore) में जिला व शहर कांग्रेस (congress) कमेटी की संयुक्त प्रेस वार्ता के जरिये एक बार फिर पूर्व सीएम कमलनाथ की घोषणा पर मुहर लगाने की कोशिश की है। दरअसल, 10 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में पंचायत और नगर निगम चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया जिसके तहत प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण (obc reservation) के चुनाव होंगे। कोर्ट ने 15 दिन में पंचायत एवं नगर पालिका, नगर निगम चुनाव की अधिसूचना जारी करने के निर्देश भी दिए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दोनों ही प्रमुख दल आमने – सामने है और इसी के चलते इंदौर में प्रदेश अध्यक्ष मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने इंदौर से शिवराज सरकार और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।
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कांग्रेस नेता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि भाजपा और आरएसएस ओबीसी का आरक्षण खत्म करने का षडयंत्र रच रही है लेकिन कांग्रेस हर हाल में ओबीसी को अधिकार दिलायेगी। इसलिए पार्टी ने तय किया है कि आने वाले निकाय चुनाव में पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग के 27% प्रत्याशियों को टिकट देगी जिसकी घोषणा पूर्व सीएम कमलनाथ कर चुके है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ जी ने ये घोषणा ऐसे समय पर कि जब माननीय सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया है।
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कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के आरक्षण के बिना चुनाव कराने का फैसला इसलिये किया है क्योकि मध्य प्रदेश की शिवराजसिंह चौहान सरकार ने माननीय अदालत के सामने ओबीसी आरक्षण के बारे में भ्रामक व आधे अधूरे तथ्य प्रस्तुत किये। वो खुद ओबीसी के होकर भी ओबीसी आरक्षण को लेकर कुछ नही कर पाए। वही जब कोर्ट का निर्देश आया तो विदेश यात्रा रद्द करने और ओबीसी आरक्षण पर अगले कदम को लेकर दिखावे का मंथन करते नजर आ रहे है।
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वही बीजेपी के द्वारा कांग्रेस के कोर्ट में जाने को लेकर उठाये जा रहे सवालों पर सलूजा ने कहा कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में रोटेशन और परिसीमन को लेकर गई थी और कभी कांग्रेस ने आरक्षण को चुनौती नही दी है। सलूजा ने साफ किया कि भाजपा की सरकार ने ओबीसी आरक्षण के खिलाफ जो काम किया है वह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के गुप्त एजेंडे का हिस्सा है। इधर, उन्होंने ये भी कहा कि पूर्व सीएम ने कमलनाथ द्वारा 27 प्रतिशत ओबीसी टिकिट देने की घोषणा से ये साफ हो गया है कि कांग्रेस न सिर्फ निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन करेगी बल्कि आरक्षण समाप्त होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी के प्रयासों से ओबीसी वर्ग के अधिक से अधिक जनप्रतिनिधि निकायों में चुनकर आयेंगे।