इंदौर, आकाश धोलपुरे। पाकिस्तान (Pakistan) से लौटी गीता अब इंदौर (Indore) की बजाय महाराष्ट्र (Maharashtra) के परभणी में रहेगी। दरअसल, परभणी के एक परिवार ने मूक बधिर गीता को अपने परिवार की सदस्य बताया है। परभणी के जिस परिवार ने गीता को लेकर दावे किए है वो सच्चाई के काफी करीब है लिहाजा, इंदौर में गीता जिस आनंद सर्विस सोसायटी में रह रही थी, उसी आनंद सोसायटी के प्रमुख ज्ञानेंद्र पुरोहित सहित 4 सदस्यीय टीम गीता को परभणी लेकर रविवार को रवाना हुए और रात को वे परभणी पहुंचे।
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दरअसल, महाराष्ट्र के परभणी में रहने वाले वाघमारे परिवार ने गीता को परिवार की बेटी बताया है और गीता द्वारा साइन लैंगुएज में जो तथ्य बताए गए थे वो परिवार द्वारा दी गई जानकारी से बहुत करीब से मिलते जुलते है। लिहाजा, प्रशासन और एनजीओ के जरिये गीता को महाराष्ट्र के परभणी भेजा गया है। जहां डीएनए टेस्ट होने तक गीता, पुर्नवास कार्यक्रम के तहत मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस और समाज कार्य विभाग की तकनीकी मदद ली जाएगी फिलहाल, गीता को “पहल” फाउंडेशन की देख रेख में रखा जा रहा है। इतना ही नही गीता को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास भी पहल फाउंडेशन द्वारा किया जाएगा।
बता दे कि आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित ने कई दफा ये बात साझा की थी कि गीता महाराष्ट्र, तेलंगाना या छत्तीसगढ़ की हो सकती है। गीता को अक्टूबर 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) की तत्परता से पाकिस्तान से भारत लाकर इन्दौर के स्किम नम्बर 71 स्थित मूक बधिर संस्था में लाया गया था और बाद जुलाई 2020 में गीता को विजय नगर स्थित आनंद सर्विस सोसायटी में शिफ्ट किया गया।
22 जुलाई को ही मिल गए थे ये क्लू
गीता को वर्ष 2020 की 20 जुलाई को आनंद सर्विस सोसायटी में शिफ्ट किया गया था जहां ज्ञानेंद्र पुरोहित ने 2 दिन बाद याने 22 जुलाई को गीता की दाहिनी नाक छिदी होने के चलते अंदाजा लगा लिया था कि गीता का जुड़ाव महाराष्ट्र या तेलंगाना से हो सकता है। वही गीता जिस तरीके से चावल खाती थी उसमें दक्षिण भारत तरीका दिखता था लिहाजा, उसी दिशा में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था।
एम.पी.ब्रेकिंग न्यूज से ज्ञानेंद्र पुरोहित की खास चर्चा
एम.पी.ब्रेकिंग न्यूज को आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि गीता अक्सर डीजल वाले इंजिन और गन्ने के खेतों की बात करती थी जिसके बाद उन्होंने जानकारी जुटाई तो पता चला कि मराठवाड़ा क्षेत्र में आज भी डीजल इंजिन जुड़ते है। वही गीता के संभावित परिवार द्वारा जो तथ्य बताया गया है वो सच्चाई के बिल्कुल नजदीक है। गीता के परभणी छोड़ने के लिए 4 सदस्यों की टीम गई थी जिनमे एक महिला भी शामिल थी और रविवार रात को गीता परभणी पहुंच गई और आज वो संस्था पहल की देख रेख में है।
फिलहाल, डीएनए की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है जिसके बाद एक योजना के तहत गीता को उसके परिवार के साथ रखा जाएगा और वो परिवार के साथ घुल मिल सके इसके प्रयास किये जायेंगे।गीता के पुर्नवास के लिए प्रयास शुरू हो गए और माना जा रहा है कि पाकिस्तान से 5 साल पहले लौटी गीता को सरकारी मदद मिल सकती है ताकि गीता का भविष्य संवर सके।पाकिस्तान से आई मूक बधिर गीता जल्द ही महाराष्ट्र को अपना घर बना सकती है। उसे रविवार सुबह अस्थायी रूप से परभणी भेजा गया है। गीता वहां एक संस्थान में आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण लेगी। गीता के पुनर्वास में मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस के विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है।
आनंद सर्विस सोसायटी के ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया, परभणी के वाघमारे परिवार ने उसे अपनी बेटी होने का दावा किया है। उन्होंने उसके गुमने को लेकर जो तथ्य बताए हैं, वे काफी मिलते जुलते हैं, इसलिए जल्द ही परिवार और गीता का डीएनए मिलाया जाएगा। फिलहाल उसे वहीं आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जाएगी। इसमें परभणी के पहल फाउंडेशन ने उसकी मदद करने की सहमति जताई है।
पुनर्वास में टाटा इंस्टिट्यूट करेगा मदद
आनंद सर्विस सोसायटी की मोनिका पुरोहित ने बताया, गीता को विश्व स्वास्थ्य संगठन की कम्युनिटी बेस्ड रिहैबिलिटेशन तकनीक से पुनर्वासित किया जा रहा है। इसमें दिव्यांगों को धीरे-धीरे अपनी कम्युनिटी के नए लोगों के साथ मिलाया जाता है। मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस, समाज कार्य विभाग की प्रमुख डॉ. वैशाली कोल्हे की भी मदद ली जा रही है। गीता को रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3040 के मंडलाध्यक्ष गजेंद्र सिंह नारंग के साथ अन्य सदस्यों ने विदा किया।
गौरतलब है कि गीता को 26 अक्टूबर 2015 को इंदौर लाया गया था। पूर्व विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज की पहल पर उसे पाकिस्तान से भारत लाया गया था। गीता को इंदौर के मूक-बधिर संगठन में अस्थायी आश्रय दिया था। गीता के माता-पिता मिलने तक उसे यहीं रहना था। 20 जुलाई को जिला प्रशासन ने गीता को इंदौर की ही दूसरी संस्था आनंद सर्विस सोसायटी को सौंपा था।