डॉ गीता गूईन बनी नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कॉलेज की नई डीन

Amit Sengar
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जबलपुर,संदीप कुमार। नेताजी सुभाषचंद्र मेडिकल कालेज की कमान अब डॉ गीता गुईन को मिली है,डॉ प्रदीप कसार के सेवानिवृत्त होने के बाद डॉ नवनीत सक्सेना को प्रभार दिया गया इस बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी करते हुए डॉ गीता गूईन (dr geeta goon) को मेडिकल कॉलेज का नया डीन नियुक्त किया है,पदभार ग्रहण करने के बाद डॉ गीता ने बताया कि मेडिकल चिकित्सालय की दीवारें भले ही आज निजी अस्पतालों जैसी नहीं है,यहाँ की जमीन भले ही थोड़ा खराब है पर यहां पदस्थ डॉक्टर किसी भी प्राइवेट अस्पताल में नही मिलेंगे, नवागत डीन ने लोगों से अपील की है कि वह निजी अस्पताल इलाज के जाने से पहले एक बार मेडिकल जरूर आए, यहाँ इलाज में थोड़ा समय जरूर लग सकता है लेकिन इलाज सबसे बेहतर होता है।

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भारत की 80% जनता आज जाती है प्राइवेट अस्प्ताले
मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ गीता गूईन ने बताया कि आज भारत सरकार की 80% मेडिकल हेल्थ केयर निजी अस्पतालो के पास है पर उससे हमारा कोई मतलब नही है और न ही कोई शिकायत है,उन्होंने सभी गरीब तबके के मरीज से आग्रह किया है किसी भी तरह से आशंकित न हो और मेडिकल कॉलेज में आकर बेहतर ईलाज करवाए, उन्होंने कहा कि कोई भी मरीज अपनी जमा पूंजी को न खर्चे और मेडिकल कॉलेज में आकर बेहतर ईलाज करवाए, यहाँ ईलाज में देरी है पर मरीज स्वास्थ्य होकर ही जाता है।

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60 से 70% महिलाए होती है एनीमिया से ग्रषित
मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ गीता गूईन गयानोलॉजी भी है,महिलाओ की स्थिति को लेकर उन्होंने बताया कि आज 60 से 70% महिलाएं एनीमिया से ग्रसित है,और ये महिलाएं ईलाज के लिए मेडिकल कॉलेज का ही रुख करती है,वही उन्होंने कहा कि जो अच्छे लोग है वो प्राइवेट अस्पतालों में जा रहे है जिनका हीमोग्लोबिन 12 होता है और उनका ऑपरेशन कर दिया जाता है पर वह मरीज जो कि एनीमिया से ग्रषित है वह मेडिकल कॉलेज में आती है तो पहले उसका एनीमिया ठीक किया जाता है,प्राइवेट अस्पताल सिर्फ सीमित लोगो का ही ईलाज करता है जबकि मेडिकल कॉलेज में एक बड़ी जनसँख्या नियंत्रण करता है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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