जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती मामला थमने का नाम नही ले रहा है, फिजिकल परीक्षा होने से पहले मामला यह जबलपुर (jabalpur) हाई कोर्ट पहुँच गया है, कुछ आवेदक इसे हाई कोर्ट में चुनोती दे चुके है हालांकि सरकार की तरफ से भी कैविएट दाखिल की है ऐसे में अब हाई कोर्ट को कोई भी फैसला सुनने से पहले सरकार का पक्ष भी सुनाना होगा।
यह भी पढ़े…ICC Player of the Month अवार्ड के दावेदारों का हुआ ऐलान जाने कितने भारतीय और कितने विदेशी
हाल ही पुलिस भर्ती परीक्षा का विरोध करते हुए छात्र सड़कों पर उतर आए थे, जबकि कांग्रेस पहले ही उसे व्यापम पार्ट-2 कहकर हमला बोल चुकी है, अब यह मामला हाई कोर्ट पहुँच गया है, एक तरफ जहां सरकार चाह रही है कि भर्ती परीक्षा न रुके वही कई छात्र ऐसे है जो की रिजल्ट की पूरी प्रक्रिया को कटघरे में ला खड़ा कर दिया है।
यह भी पढ़े…नमकीन फैक्ट्री पर क्राइम ब्रांच और खाद्य विभाग की टीम ने छापामार कार्रवाई की
छात्रों का दावा है कि रिजल्ट में हेराफेरी की गई है और आखिर तक आवेदकों को उनका रिजल्ट क्यों नही बताया जा रहा है, छात्रों का यह भी कहना है कि आंसर शीट भी उन्हें नहीं दी जा रही है ऐसे में यह भी पता नहीं चल पाया है कि किस आवेदक को कितने नंबर और किस आधार पर क्वालीफायड और अनक्वालिफाइड किया गया है।
यह भी पढ़े…चिलचिलाती गर्मी में खाएं पानी से भरपूर ये Food, रहेंगे तरोताजा और फिट
मध्यप्रदेश में पुलिस भर्ती परीक्षा के दौरान 6000 पदों के लिए 800000 से अधिक आवेदन पहुंचे थे और परीक्षा कराने की जिम्मेदारी व्यापम को सौंपी गई थी, तकरीबन सवा महीने तक परीक्षा चली और हर दिन अलग-अलग पेपर स्क्रीन पर भेजे गए, हाईकोर्ट में चुनौती देने वाले आवेदकों का कहना था कि चयन का मापदंड ही सामान नहीं है तो चयन की निष्पक्षता कैसे साबित होगी, हर दिन एक अलग पेपर मिलता था कभी कठिन तो कभी सरल, पर कटऑफ एक जैसे मापदंड पर आधारित किया जा रहा है,व्यापमं ने पता नहीं किस मापदंड का पालन किया।