राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को दी फीस की छूट, हाईकोर्ट पहुंचा मामला, जल्द सुनवाई

Pooja Khodani
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mp HIGH COURT

जबलपुर, संदीप कुमार। मध्य प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग (MP School Education Department) के जारी आदेश- ” अब प्राइवेट स्कूल पूरी फीस वसूल सकेंगे” का मामला अब जबलपुर हाईकोर्ट पहुंच गया है।एक तरफ जैसे ही राज्य सरकार ने राजस्थान सरकार का हवाला देते हुए फीस (MP Private School Fees) संबधित मामले में निजी स्कूलों को फीस वसूलने की छूट दे दी है वही दूसरी तरफ नगरिक उपभोक्ता मंच ने राज्य सरकार के इस आदेश को चुनौती दे डाली है।इस मामले में अब जल्द सुनवाई होगी।

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दरअसल, MP सरकार ने एक आदेश के तहत निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस के अलावा अन्य मदों की फीस वसूलने की अनुमति दे दी है, जिससे अब निजी स्कूल मनमाने ढंग से फीस वसूली कर रहे हैं। इधर करोना संकट टला नहीं है बल्कि नए वेरिएंट ने दहशत फैला दी है और अब स्कूलों में भी आधी क्षमता से छात्रों को प्रवेश दिया जा रहा है और ऑनलाइन क्लासेस बंद नहीं की गई हैं, ऐसे बदले हुए हालात को देखते हुए नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है और राज्य सरकार के इस आदेश को चुनौती दी है।याचिका में कहा गया है कि जब करोना काल खत्म नहीं हुआ है। स्कूल पूरी क्षमता से नहीं खुले हैं तब पूरी फीस वसूलने की छूट क्यों दी जा रही है। यह याचिका हाईकोर्ट (MP High Court) में स्वीकार कर ली गई है और इस मामले पर जल्द सुनवाई होगी।

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गौरतलब है कि अब मध्यप्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों में पालकों को छात्रों की पूरी फीस देनी होगी। ट्यूशन फीस को छोड़कर स्कूल संचालक अब पूरी फीस ले सकेंगे। इस संबंध में हाल ही में स्कूल शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि 8 जुलाई 2021 में जारी आदेश रद्द हो गया है।बता दे कि विभाग ने 8 जुलाई को निजी स्कूलों को सत्र 21-22 में भी केवल शिक्षण शुल्क ही लेने का आदेश जारी किया था।इसके खिलाफ एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल (Association Of Un Aided Private Schools) द्वारा न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद यह आदेश वापस ले लिया गया है। अब निजी स्कूल सत्र 21-22 के लिए पहले से निर्धारित फीस ले सकता है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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