जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (jabalpur) हाईकोर्ट में प्रदेश के जेलों में क्षमता से दुगने कैदियों के निरुद्ध होने के मामले को संज्ञान में लेकर सुनवाई जारी है। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट (high court) के मुख्य न्यायाधीश (chief justice) मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस व्ही के शुक्ला को बताया गया कि जमानत के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अर्नेश कुमार के मामले में जारी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद हाई पाॅवर कमेटी को निर्देशित किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश तथा पारित आदेश का पालन ईमानदारी पूर्वक करने के लिये डीजी जेल संचालक अभियोजन तथा डीजीपी को निर्देशित करें।
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कोरोना महामारी तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए सजायाफ्ता और अंडर ट्रायल कैदियों को अस्थाई जमानत का लाभ दिये जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किये थे. संज्ञान याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में जेल महानिर्देशक ए कुमार की तरफ से बताया गया था कि सात मई तक प्रदेश की 131 जेलों में 45582 कैदी निरुद्ध हैं. प्रदेश के जेलों की कुल क्षमता 28,675 कैदियों की है. जेल में निरुद्ध 30982 कैदी अंडर ट्रायल हैं तथा 14,600 कैदी सजायाफ्ता हैं, जिसमें से 537 महिला कैदी हैं।
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युगलपीठ ने पूर्व में याचिका की सुनवाई करते हुए कोरोना महामारी के मद्देनजर जेल में निरुद्ध सजायाफ्ता तथा अंडर ट्रायल कैदियों को स्थाई व अस्थाई जमानत के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करते हुए इस संबंध में हाई पॉवर कमेटी को स्टेट लीगल सर्विस एथॉरिटी की चैयरमेन के साथ फिजिकल तथा वर्चुअल बैठक करने के आदेश जारी किये हैं. इसके अलावा युगलपीठ ने गिरफ्तारी के संबंध में अर्नेश कुमार प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने की आदेश जारी किये थे.
संदीप कुमार… जबलपुर