साइकिल यात्रा कर युवा पर्यावरण सरंक्षण एवं सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने का दे रहे संदेश

2016 में निखिल ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक साइकल का मॉडल तैयार किया, जो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आते ही स्टार्टअप साक्षात्कार प्रतियोगिता में शामिल किया गया।

Amit Sengar
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Jabalpur News : जबलपुर वास्तव में यदि राम की पहचान एक राजकुमार या केवल अयोध्यापति के रूप में होती तो वाल्मीकि कभी भी राम की जीवन यात्रा रामायण जैसा प्रासंगिक ग्रंथ न लिख पाते या लिखते तो यह एक राजा का आख्यान होता। तुलसी ने मनुष्य के रूप में राम का चरित्र रामचरित मानस लिखा क्योंकि राम की जीवन यात्रा आदर्श व्यक्ति के चरित्र का अभिलेख है। जो बताता है कि कैसे एक राजा साधारण मनुष्य की तरह सीमित संसाधनों से स्वयं को विजेता बनाता है, मर्यादा पुरूषोत्तम बनाता है। जब देश राम की प्राण प्रतिष्ठा में मगन था, तब कुछ युवा ऐसे भी थे जो अपने भीतर राम की यात्रा के अनुभव को समेटने आतुर थे। भोपाल के निखिल जाधव और सुदीप दास का मानना है कि यात्रा ही थी जिसने राम को अनुभव भी दिया और उपलब्धि भी। बस यात्रा करने और अनुभव कमाने का जज्चा लिए इन युवाओं ने भी एक अनूठी यात्रा करने का संकल्प लिया। यह यात्रा हिमाचल से कन्याकुमारी तक साढ़े तीन हजार किलोमीटर की है, जो सुविधायुक्त वाहनों से नहीं साइकिल से की जा रही है। अपनी इस यात्रा में दोनों ही युवा पर्यावरण संरक्षण, प्लास्टिक उन्मूलन और राम की जीवन यात्रा का महत्व समझाते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

हिमाचल से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा से फैला रहे जागरूकता

जबलपुर पहुँचे 24 वर्षीय निखिल और 21 साल के सुदीप उत्साह के साथ अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। कोई वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना इस यात्रा का उद्देश्य नहीं है, ये युवा यात्रा में आने वाले शहर, गांव, स्कूल कॉलेज पहुंचकर ज्यादा से ज्यादा लोगों से रूबरू होकर सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग बंद करने, पर्यावरण को सुरक्षित रखने और राम के चरित्र को आत्मसात कर बेहतर व्यक्तिव निर्माण करने का संदेश देना चाहते हैं। हिमाचल के कसौल से भोपाल तक 1300 किलोमीटर की सद्देश्य साइकल यात्रा सफलता से पूरी हो चुकी है। अब भोपाल से कन्याकुमारी तक 1200 किलोमीटर की यात्रा शेष है। भोपाल से यह युवा यात्री 1 फरवरी को कन्याकुमारी की ओर प्रस्थान करेंगे। 2016 में निखिल ग्रीन प्लैनेट बाइसिकल राईडिंग संगठन से जुड़े जहां आईएएस ऑफिसर सत्य प्रकाश ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि निखिल साइकिलिंग के साथ साइकिल की इंजीनियरिंग से जुड़ गए।

2016 में निखिल ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक साइकल का मॉडल तैयार किया, जो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट आते ही स्टार्टअप साक्षात्कार प्रतियोगिता में शामिल किया गया। माता पिता शशि धनंजय जाधव निखिल को अपनी रुचि के क्षेत्र में लगन से आगे बढ़ने की आजादी देते हैं तो दादी मधुमालती जाधव सच्ची मार्गदर्शक की तरह संबल बनकर साथ खड़ी होती हैं। सुदीप मुंबई में सेकंड इयर के छात्र हैं। यह सुदीप की पहली लंबी साइकल यात्रा है। 26 दिन पहले 1 जनवरी को निखिल और सुदीप भोपाल से दिल्ली पहुंचे। अपने साइकल रथ के साथ। दिल्ली से हिमाचल के कसौल। यहां से शुरू हुई जनजागरण के साथ अनुभव जुटाने की साइकल यात्रा। हिमाचल के कसौल से भुंतसर, मंडी, बिलासपुर यात्रा के पड़ाव रहे। मंडी के गुरुद्वारे में साइकल यात्री निखिल और सुदीप पनाह लेने पहुंचे तो सेवाभाव ने उन्हें अविभूत किया। अपने अनुभव बताते हुए निखिल कहते हैं कि गुरुद्वारे में हमें ऐसे रोका गया जैसे कोई होटल मालिक लाभ बचाने के लिए रोकता है, बदले हमें कोई भुगतान नहीं करना था। निष्काम, निस्वार्थ सेवा सीखी भी और देखी भी।

वहीं जबलपुर के कलेक्ट्रेट कार्यलय पहुँचे निखिल और सुदीप का कहना है कि उनका उद्देश्य है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बंद होना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध ऑक्सीजन के साथ साथ-साफ सुथरा पर्यवारण मिल सके।
जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट


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