शव को रखकर परिजनों ने किया चक्काजाम, हत्या का प्रकरण दर्ज करने की मांग

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। हत्या का प्रकरण दर्ज करने की मांग को लेकर परिजनों ने सड़क पर शव रखकर चक्काजाम (Chakka jaam)  कर दिया।  परिजनों का आरोप है कि नगर निगम में पदस्थ कर्मचारी मृतक को परेशान करते थे और उन लोगों ने ही उसकी हत्या कर लटका दिया लेकिन पुलिस उनके खिलाफ  हत्या का प्रकरण दर्ज नहीं कर रही।

ग्वालियर नगर निगम (Gwalior Municipal Corporation) के जनमित्र केंद्र क्रमांक 6 पर पदस्थ सफाई कर्मचारी आकाश करोसिया ने बीती रात ऑफिस में फांसी लगाकर आत्महत्या (Suicide) कर ली थी। आकाश ने जब आत्महत्या की तब ऑफिस खुला हुआ था। पुलिस पूछताछ में निगम अधिकारियों ने बताया कि काम की स्थिति के हिसाब से कभी कभी जनमित्र केंद्र देर तक भी खुला रहता है। आकाश चूँकि सफाईकर्मी था इसलिए वो देर से जाता था। पुलिस इस बात का पता लगा रही है कि घटना के समय ऑफिस में कौन कौन कर्मचारी थे।

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आकाश के शव की जाँच फोरेंसिक एक्सपर्ट से करवाने के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। आज रविवार को जैसे ही पोस्टमार्टम हुआ परिजन शव को लेकर पड़ाव चौराहे पहुँच गए और चक्काजाम कर दिया।  पड़ाव थाना पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वे इस बात पर अड़े रहे कि हत्या का प्रकरण दर्ज किया जाये।

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मृतक आकाश के फूफाजी अशोक खरे के मुताबिक नगर निगम में ही पदस्थ आकाश करोसिया नमक व्यक्ति ब्याज पर पैसे चलाता है उसका उनके भतीजे आकाश के साथ पैसे का लेनदेन था जिसके ब्याज के लिए वो इसे प्रताड़ित कर रहा था , अशोक खरे ने जनमित्र केंद्र पर पदस्थ स्वच्छता निरीक्षक अशोक धवल पर उनके भतीजे को प्रताड़ित करने और देर तक ऑफिस में काम करने का दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं।

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उधर मौके पर पहुंचे सीएसपी उमेश त्रिवेदी ने परिजनों को समझाइश दी कि और भरोसा दिलाया कि अभी किसी के बयान दर्ज नहीं हुए हैं, पीएम रिपोट आना बाकी है।  रिपोर्ट के आने के बाद यदि कोई दोषी निकलता है तो उसपर कार्रवाई जरूर की जाएगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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