जिनका कोई नहीं उनका कर रहे अंतिम संस्कार, ‘अरविंद’ दे रहे मानवता की मिसाल

खरगोन, बाबूलाल सारंग। खरगोन (Khargone) जिले के अंतर्गत बड़वाह (Badwah) तहसील में कोरोना महामारी (Corona epidemic) ने असमय कई लोगो को काल के गाल भेज दिया। संक्रामक बिमारी के चलते अपने-अपनों से जुदा हो गए। कुछ लोग अपने नजदीकियों के शव अस्पताल के भरोसे ही छोड़कर चले गए। तो कई चाहकर भी अपने करीबियों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे थे। कोविड से जान गंवाने वाले लोगो ऐसे अजनबी लोगो का सहारा बने समाजसेवी एवं माँ-नर्मदा प्राणी सेवा समिति के सदस्य अरविन्द पगारे। पेशे से ऑटो चालक अरविंद बीते दो माह में 22 कोविड संक्रमित मरीजों के शव का अंतिम संस्कार कर चुके है। इसके लिए बकायदा वे पुरे प्रोटोकाल का पालन करते हुए शवो को मुखाग्नि देते है। कोविड मरीजों के शवदाह के लिए उन्होंने शमशान घाट पर ही एक अलग से स्थान निर्धारित किया हुआ है। शवो के अंतिम संस्कार के पहले वे पीपीई किट पहनते है। मृतक के परिजनों की धार्मिक भवनाओं को ध्यान में रखते हुए संक्षिप्त विधि-विधान से रिवाज पूर्ण कर मुखाग्नि देते है।

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उन्होंने बताया की कई परिजन केवल शव उन्हें सुपुर्द कर दूर से ही अंतिम संस्कार देखते है। तो कई शव सौंपकर निकल जाते है। फिर भी पूर्ण रस्मो के साथ वे अंतिम संस्कार करते है। अंतिम संस्कार के बाद अरविंद अपने साथी सदस्यों के साथ सेनेटाईजेशन एवं स्नान करते है। ताकि वे इस महामारी के चपेट में न आए। परिवार,परिचित एवं रिश्तेदारों ने भी कई बार अरविंद को कोविड बॉडी के अंतिम संस्कार के लिए मना भी किया, किन्तु वे अभी भी सेवाकार्य में लगे हुए है|


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Harpreet Kaur