Khargone News : मध्य प्रदेश के स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर 12 वीं तक का नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। इसके साथ ही 18 से 20 जून तक सभी स्कूलों में प्रवेश उत्सव मनाए जाने के निर्देश है। इसी क्रम में खरगोन जिले की बड़वाह तहसील से करीब 13 किमी दूर ग्राम कुरावद में छत विहीन प्राथमिक शाला में प्रवेशोत्सव मनाया गया, तो वहीं पढाली ग्राम में नीम के वृक्ष के नीचे बच्चों की शाला लगाई गई। लेकिन प्रदेश में इन दिनों तेज गर्मी पड़ रही है। तपती धूप में बैठकर बच्चों ने अपने नए सत्र का पहला दिन निकाला और पुस्तकें भी प्राप्त की। लेकिन जर्जर और छतविहीन स्कूल देखकर परिजनों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। उनका कहना है कि नए भवन को लेकर शिक्षा विभाग लापरवाही दिखा रहा है। जल्द ही नए भवन का निर्माण होना चाहिए। अन्यथा इस खतरनाक, जर्जर और बिना छत वाली प्राथमिक शाला में हम अपने बच्चों को स्कूल पढ़ने नहीं भेजेंगे। कुछ अभिभावकों ने तो बच्चों को स्कूल से निकाल लिया है। वर्तमान में प्राथमिक शाला में 22 बच्चे हैं। चार बच्चों ने स्कूल से निकलने के लिए आवेदन दिया है।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि सत्र 2023-24 की शुरुआत में पढाली और कुरावद के स्कूल भवन को फोरलेंन मार्ग पर आ जाने के कारण बिल्डिंग को धाराशायी कर दिया था। भवन टूट जाने के बाद कुरावद की स्कूल पहले तो किराए के भवन बाद में जर्जर पुराने भवन में स्कूल लगाना शुरू की। जिसकी मरम्मत भी टीचरों ने स्वयं के खर्च से कराई। बारिश में छत से पानी रिसने पर टिन शेड की छत डलवाई, जो आंधी में उड़ गई। तब से छात्र छत विहीन स्कूल में बैठने को मजबूर हैं। वहीं पढाली की प्राथमिक शाला का पिछला सत्र गुरुद्वारे में ही निकला। लेकिन वर्तमान में गुरुद्वारे में चल रहे निर्माण कार्य के चलते स्कूल को नीम के वृक्ष के नीचे सड़क पर लगाना पड़ रहा है। लेकिन यहां शिक्षा विभाग के जिम्मेदार एक साल में प्राथमिक शाला के बच्चों के लिए स्कूल तक की व्यवस्था नहीं करवा पाए।
पढाली सरपंच सुनील गुर्जर सरपंच ने कहा की हाईवे निर्माण में स्कूल तोड़ दिया था। गुरुद्वारे के सहयोग से स्कूल लगा रहे थे। नए भवन के लिए एक साल से प्रयास कर रहे हैं। जमीन का चिन्हांकन हो गया है। लेकिन शिक्षा विभाग की सुस्त कार्यप्रणाली से भवन को लेकर अभी तक कार्य शुरू नहीं हुआ। यही कारण की बच्चों की शाला सड़क पर लगाना पड़ रही है। इसके कारण अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। पानी की स्थिति बनेगी तो बच्चो की छुट्टी करना पड़ेगी। पंचायत भवन भी हाईवे निर्माण के दौरान तोड़ दिया था। वरना पंचायत में स्कूल लगवा देते।
पिंटू राठौड़ ने कहा कि हाईवे निर्माण में स्कूल तोड़ दिया था। तब से बच्चे गुरुद्वारे की छत के नीचे बैठकर पढाई कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि जल्दी नए भवन में बच्चे बैठकर पढाई करेंगे। मगर अब तक जिम्मेदारों का इस और कोई ध्यान ही नहीं है। अब हालत यहाँ तक आ गए तपती धूप में बैठकर नीम के नीचे बैठकर बच्चे पढाई करने को मजबूर है।
खरगोन से बाबूलाल सारंग की रिपोर्ट