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Mon, Dec 8, 2025

जेल में नवाचार, शुरू किया अपना रेडियो स्टेशन, बंदी बने आरजे, फरमाइश पर बजा रहे भजन, फ़िल्मी गीत

Written by:Atul Saxena
लगभग एक महीने पहले स्पेशल डीजी जेल जी ए अखेटो सेमा ने जवाद उपजेल के रेडियो स्टेशन नवधारा जेल वाणी का उद्घाटन किया था, जेलर डॉ अंशुल गर्ग के प्रयासों से शुरू हुए इस रेडियो स्टेशन से बंदियों के व्यवहार और दिनचर्या में बड़ा बदलाव दिखाई दे रहा है।
जेल में नवाचार, शुरू किया अपना रेडियो स्टेशन, बंदी बने आरजे, फरमाइश पर बजा रहे भजन, फ़िल्मी गीत

नीमच जिले की जावद उपजेल ने प्रदेश में सुधार की दिशा में एक नई मिसाल कायम की है। यहाँ बंदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अभिनव पहल की गई है , उपजेल प्रबंधन ने  “नवधारा जेल वाणी” के नाम से अपना मिनी रेडियो स्टेशन शुरू किया है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका संचालन बंदी ही आरजे बनकर कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश की किसी भी जेल के पहला अपना यह रेडियो स्टेशन “बंदियों द्वारा, बंदियों के लिए” की अवधारणा पर आधारित है। सुबह प्रार्थना, गीता श्लोक और भजन के साथ दिन की शुरुआत होती है। वहीं दोपहर में बंदी अपनी पसंद के गीतों की फरमाइश करते हैं, जिन्हें जेल परिसर में लगे स्पीकरों के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। यह पहल कैदियों के लिए सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मसुधार और मानसिक शांति का माध्यम बन गई है।

बंदियों की फरमाइश पर बजते हैं गीत

बंदी अपनी पसंद के गीत बैरकों से लिखित रूप में देते हैं। फिर जेल में मौजूद सिस्टम से यूट्यूब के माध्यम से वे गीत चुने जाते हैं और पूरे परिसर में बजाए जाते हैं। अधिकतर गीत भक्ति, प्रेरणादायक या पारिवारिक होते हैं, जो बंदियों के मन में नई ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार करते हैं।

जेलर डॉ गर्ग की पहल से बदला माहौल

जावद उपजेल के जेलर डॉ अंशुल गर्ग बताते हैं “हमारा उद्देश्य बंदियों का मन नकारात्मक प्रवृत्तियों से हटाकर उन्हें आत्मनिर्भर और सकारात्मक दिशा में लाना है। ‘नवधारा जेल वाणी’ से बंदियों में अनुशासन और आत्मविश्वास बढ़ा है। वे अब जीवन को नई दृष्टि से देख रहे हैं।”

बंदियों को मिल रहा आत्मसंतोष

रेडियो स्टेशन के संचालन की जिम्मेदारी बंदी शिवलाल और राकेश ने संभाली है। दोनों को जेल प्रशासन ने एक से डेढ़ माह का प्रशिक्षण दिया था। बंदियों का कहना है कि  “सुबह गीता श्लोक और भजन सुनने से दिन की शुरुआत शांति से होती है। अब मन गलत दिशा में नहीं भटकता, बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक सोच विकसित होती है।”

सुधार की दिशा में कई गतिविधियाँ

रेडियो स्टेशन के साथ ही जेल परिसर में नर्सरी, जैविक खाद निर्माण और टाइपिंग प्रशिक्षण जैसी गतिविधियाँ भी चलाई जा रही हैं। यह सभी प्रयास कैदियों को समाज में वापसी से पहले आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए जा रहे हैं।

पहली बार ऐसा नवाचार

‘नवधारा जेल वाणी’ प्रदेश की जेलों में अपने आप में पहली पहल मानी जा रही है। फिलहाल यह ट्रायल बेस पर संचालित की जा रही है, लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। इस पहल से कैदियों के व्यवहार, सोच और अनुशासन में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है।

 

 नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट