निवाड़ी, मयंक दुबे। मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में खाद की किल्लत को लेकर पृथ्वीपुर में एक बार फिर किसानों ने जाम लगा दिया। किसानों का आरोप था कि उन्हें रोजना बिक्री केंद्रों पर आने के बाबजूद खाद नहीं मिल रही है। खाद की कालाबाजारी के आरोपों के बीच एक सप्ताह में यह चौथी बार है जब केवल पृथ्वीपुर में ही किसानों ने जाम लगाया है। जिले के अलग अलग इलाको समेत निवाड़ी में तो किसानों ने खाद मिलने के लिए लगाए जाने वाले दस्तावेजों तक को विरोध स्वरूप सड़कों पर फैला दिया। क्योंकि लाख कोशिश के बाद भी प्रशासन उन्हें डीएपी खाद उपलब्ध नहीं कर सका।
अन्नदाता का यह आक्रोश एक दिन का नहीं है, पिछले एक सप्ताह से डीएपी खाद के लिए किसान के लिए एक बिक्री केंद्र से दूसरे बिक्री केंद्र पर भटकते भटकते इतने परेशान हो गए कि खाद खरीदने के लिए जमा होने वाले कागजो को खाद न मिल पाने के चलते सड़को पर फेंक दिया।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में पिछले 1 सप्ताह से खाद को लेकर इतनी त्राहि-त्राहि है कि केवल पृथ्वीपुर में ही 1 सप्ताह के भीतर किसान चार बार जाम लगा चुके हैं। कमोवेश यही हाल जिला मुख्यालय का भी है, रोजाना खाद समस्या के निराकरण का आश्वासन देकर प्रशासन इन किसानों को राहत देता है लेकिन सुबह होते ही बिक्री केंद्रों पर लंबी कतारों के बीच इन भोले-भाले किसानों को खाद तो नहीं मिलती केवल निराशा ही हाथ लगती है।
आज पृथ्वीपुर में लगे जाम के चलते स्कूली बच्चे तीन घण्टे तक जाम में फंसे रहे । किसानों के खाद की कालाबाजारी के आरोपों के बीच प्रशासन के द्वारा निवाड़ी जिले में सील की गई प्राइवेट खाद दुकानों में लगे प्रशासन के छापे तो जिले में खाद की कालाबाजारी की ओर इशारा करते ही है क्योंकि एक तरफ प्रशासन यह दावा करता है कि खाद की कोई कमी नहीं है किसानों को बारी-बारी खाद दी जा रही है वहीं दूसरी तरफ पिछले एक हफ्ते में जिले के गली गली नुक्कड़ लगते किसानों के जाम खाद की कमी का कच्चा चिटठा खोल रहे हैं।
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....