भिंड, सचिन शर्मा। जहां एक ओर प्रधानमंत्री की अति महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान योजना में भारत सरकार द्वारा घर-घर में शौचालय बनवाकर गाँव व शहरों में स्वच्छता की योजना को परवान चढ़ाकर भारत को शौच मुक्त करना था, वहीं भिंड के लहार विधानसभा क्षैत्र की नरौल धरमपुर पंचायत के संरपच सचिव की भ्रष्टाचारी सोच ने इस योजना में शासन की जनकल्याण कारी योजना को पलीता लगाने का काम किया है। जिससे अब खुले में शौच मुक्त अभियान (ओडीएफ) की सच्चाई खुलकर सामने आने लगी है। यहां संरपच और ग्राम सचिवों ने मिल कर इज्जत के घरों में जमकर भष्ट्राचार का नंगा खेल खेला है।
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जहां भिंड जिला वर्ष 2018 -19 में ही शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित हुआ था। लेकिन इस गांव की कहानी ओडीएफ की चुगली कर रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच सचिव को सुविधा शुल्क नहीं दे पाने के कारण गांव के कई गरीब परिवारों को शौचालय नसीब नहीं हुआ। वे आज भी खुले मे शौच के लिए जाने के लिए विवश हैं। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं की है जो शाम होते ही महिलाएं सूरज ढलने के बाद घरों के आसपास की महिलाओं को एकत्रित कर टोली बना कर जंगल मे शौच क्रिया को जाने को मजबूर है।
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गांव मे स्वच्छता अभियान के तहत कागजों में एक बर्ष पूर्व ही 350 शौचालय बनकर तैयार हो चुके हैं जिनकी अनुमानित लागत 4375000 रूपये है और यह राशि सरपंच सचिव द्वारा आहरण भी कर ली गयी है। वहीं इस गाँव मे 3,75,000 रुपये से सामुदायिक स्वच्छता मिशन के तहत एक सार्वजनिक शौचालय एक वर्ष पूर्व ही तैयार करवा दिया गया था, मगर उसका ताला आज तक नहीं खुला। जिसके कारण उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। वहीं मामले पर जब गांव के सरपंच से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी न होना बताया।