प्रशासन की अवैध कॉलोनी और कॉलोनाइजर पर कार्रवाई, दर्ज की जा रही एफआईआर, भेजे जा रहे नोटिस

Gaurav Sharma
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रतलाम,सुशील खरे। कलेक्टर गोपाल चंद्र डाड के आते ही जिले में अवैध कॉलोनियों और कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई शुरु हो गई है। दरअसल, जिले की जावरा विधानसभा क्षेत्र की वैध और विकसित कॉलोनी की अनुमति के लिए कॉलोनाइजर को खुद के नाम पर जमीन दिखाना होती है, तभी सारी अनुमतियां मिलती हैं। इसके उलट अवैध और अविकसित कॉलोनियों में कॉलोनाइजर (वास्तव में भूमाफिया) प्रोफाइल में कहीं नजर नहीं आते। वो किसी गरीब या सामान्य व्यक्ति से बीघा या दो बीघा भूमि पहले ही खरीद चुके होते है, जिसकी रजिस्ट्री खुद के नाम पर नहीं करवाते है। एग्रीमेंट पेटे सौदेबाजी हो जाती है और फिर टुकड़ों-टुकड़ों में प्लॉट थर्ड पार्टी को बेच देते है। बेचवाल से प्लॉट खरीदने वाले के नाम रजिस्ट्रियां करवा देते है और मुनाफा खुद ले लेते है।

अब जब नगरपालिका और राजस्व अमला अवैध कॉलोनियों में जाकर कॉलोनाइजरों को तलाश रहा है तो वे रिकॉर्ड में कहीं नहीं हैं। नगर पालिका सीएमओ डॉ केएस सगर के मुताबिक 80 फीसदी ऐसे भूमाफिया हैं जिन्होंने बड़े क्षेत्रफल की खरीदी कर सीधे मार्केट में लगा दी, लेकिन खुद रजिस्ट्री नहीं करवाई, इसलिए रिकॉर्ड में उनका नाम नहीं है। प्रोफाइल में नहीं दिख रहे कॉलोनाइजर, रिकॉर्ड में नहीं मिल रहे भूमाफिया, 55 कॉलोनाइजरों को नोटिस भेजा गया है। इस कार्रवाई में कई बड़े नाम आने की उम्मीद जताई जा रही है।

नपा ने 70 अवैध कॉलोनी के मामले में नोटिस जारी किए। इनमें से सिर्फ 15 के जवाब आए और बाकी ने रिस्पांस नहीं दिया। अब इन 55 बाकी कॉलोनी या भूमि मालिक को सीएमओ डॉ. केएस सगर ने गुरुवार को फिर से नोटिस जारी किए हैं। जिन्हें नोटिस जारी किए, वे वास्तव में मूल कॉलोनाइजर नहीं हैं, लेकिन भूमि मालिक रिकॉर्ड में वही हैं। ये भी पता चला है कि नपा द्वारा बार-बार नोटिस जारी करने के बावजूद जो भूमि मालिक हैं वे इसलिए जवाब नहीं दे पा रहे क्योंकि वास्तविक जानकारी देंगे तो असल माफिया सामने आ जाएंगे। ऐसे में भूमि मालिक ना उगल पा रहे और ना निगल पा रहे। सीएमओ का कहना है कि यदि भूमि मालिक यह लिखकर दे दें कि रिकॉर्ड में हम हैं, लेकिन किसी एग्रीमेंट पेटे जमीन सालों पहले कॉलोनाइजर को बेच दी तो उन पर कार्रवाई ना करते हुए सीधे कॉलोनाइजर पर कार्रवाई करेंगे।

इसके पहले ही मिलने पहुंचे कॉलोनाइजर नपा अधिकारियों ने ये बात तो कही कि पहले 10 कॉलोनी के मामले में 8 कॉलोनाइजरों पर एफआईआर के बाद अगले चरण में दूसरी 10 कॉलोनियों की फाइल बाहर निकाली है। इनमें भौतिक सत्यापन और तमाम कागजी कार्रवाई जांची की जा रही है। यदि नियमानुसार कॉलोनी डेवलप नहीं हुई तो इनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजेंगे। ये कौन-सी 10 कॉलोनियां हैं, इस बारे में अधिकारी बता नहीं रहे। उनका तर्क है कि नाम उजागर हो जाएंगे तो राजनीतिक प्रेशर आना शुरू हो जाएगा और मूल कार्रवाई नहीं हो पाएगी। वहीं कुछ कॉलोनाइजर तो रात में ही नपा कार्यालय पहुंच गए। ये दीगर बात है कि वे जवाब देने या पक्ष रखने पहुंचे होंगे, लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि भले जमाने को ना बताएं लेकिन कॉलोनाइजरों को ये मालूम है कि अगली कुंडली हमारी ही बन रही है, इसलिए तो वे मिलने भी पहुंच गए।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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