रतलाम में चलती बाइक पर हुई वकील की मौत पर कोर्ट सख्त, पुलिस को कार्यवाही करने के दिए आदेश

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रतलाम, सुशील खरे। रतलाम (Ratlam) में एक सप्ताह पूर्व इलाज के अभाव में सड़क पर चलती बाइक पर दम तोड़ने वाले वकील सुरेश डागर की मौत के मामले में जिला न्यायालय (District Court) ने पुलिस अधीक्षक रतलाम को आदेश दिए कि वह मामले में अनुसंधान कर 25 मई को न्यायालय में अपना अभियोग पत्र या प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। न्यायालय ने यह आदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत दिया है। न्यायालय में रतलाम जिला बार एसोशिएशन केपूर्व अध्यक्ष संजय पंवार ने अपने साथी की मौत में रतलाम मेडिकल कालेज और भाजपा नेता डॉ राजेश शर्मा का शिवशक्ति लाल शर्मा के आयुष हॉस्पिटल, तत्कालीन रतलाम कलेक्टर, और जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ एक परिवाद जिला न्यायालय के जिला जज के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिसपर जज ने इस परिवाद को न्यायिक दंडाधिकारी कपिल वर्मा को भेजा था। उसके बाद न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी मजिस्टेट ने यह आदेश जारी किया है। रतलाम जिला न्यायालय

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संजय पंवार के वकील प्रवीण भट्ट के मुताबिक हम सभी साथियों को दायित्व है कि हमारे किसी भी साथी की दर्दनाक मौत हो तो हम दोषियों को अपने अंजाम तक पहुंचायेगे और इस उद्देश्य के साथ रतलाम जिला बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजय पंवार ने एक परिवाद जिला जज के समक्ष प्रस्तुत किया था। जिसे जिला जज ने प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा था। जिसमे प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी ने आवश्यक कार्यवाही करते हुए 10 मई को आदेश पारित किया कि पुलिस अधीक्षक रतलाम दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत इस मामले का अनुसंधान करे और उपरोक्त धारा के प्रावधान के तहत कार्यवाही कर 25 मई को अपना प्रतिवेदन न्यायलय में प्रस्तुत करे।

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भट्ट ने आगे कहा कि हमने मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया है, उसमें मेडिकल कालेज के डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता और शिवशक्ति लाल शर्मा आयुष हॉस्पिटल के संचालक भजपा नेता डॉ राजेश शर्मा है। क्युकी सुरेश डागर इनकी दहलीज पर पहुचा था और वहां इंतजार करने के बाद भी उसका इलाज नही किया गया। मेडिकल कालेज में बेड खाली थे। डॉ राजेश शर्मा के यहां भी बेड खाली थे। लगभग 12 बजे मेडिकल कालेज में विधायक के द्वारा 70 ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर देकर 60 बेड का वार्ड का उद्घाटन किया जा रहा था और सुरेश डागर करीब डेढ़ बजे तक मेडिकल कालेज की दहलीज पर बैठा रहा था। प्रसाशन की भूमिका पर कहा कि कलेक्टर जिले के अधिकारी है, जिले के प्रत्येक कार्य के प्रति उनका दायित्व होता है। इन्होंने अपने दायित्व को सही तरीक़े से निर्वाह नहीं किया। जबकि इनको समय पर सूचना भी दी गयी थी। सूचना के बावजूद सुरेश डागर का इलाज नही किया गया। हमारा विचार है कि पुलिस सही कार्यवाही करेंगे।


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Harpreet Kaur

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