इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर के एक रियल स्टेट कारोबारी पर उसकी पत्नी ने ब्लैकमेल करने के आरोप लगाए हैं। पत्नी का कहना है कि आरोपी ने पहले पत्नी बनाकर सबके सामने रखा लेकिन पहली पत्नी का राज खुलने के बाद उसने पत्नी मानने से इंकार कर दिया। कुटुंब न्यायालय ने भरण पोषण का आदेश दिया तो नशीला पदार्थ पिलाकर बनाये गए मेरे आपतत्ति जनक फोटो वीडियो दिखा कर केस वापस लेने की धमकी दे रहा है। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने आईटी एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।
पीड़िता के मुताबिक उसकी दोस्ती रियल स्टेट कारोबारी भारत धाकड़ से फेसबुक पर हुई थी, दोस्ती प्यार में बदल गई। उसने बताया कि उसकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी है, भरोसा कर मैंने उसके साथ शादी कर ली उसने मुझे पत्नी के रूप में एक फॉर्म हॉउस पर रखा। कुछ समय बाद पता चला कि भारत धाकड़ की पहली पत्नी ज़िंदा है। जब विरोध किया तो उसने पीड़िता को अपनाने से इंकार कर दिया।
पीड़िता ने रियल स्टेट कारोबारी भारत धाकड़ को बहुत मनाने की कोशिश की लेकिन उसने उसे अपनाने से इंकार कर दिया उसके बाद पीड़िता ने कुटुंब न्यायलय की शरण ली। पीड़िता की बात सुनने के बाद कोर्ट ने पीड़िता को भारत धाकड़ की ब्याहता मानते हुए 5000 रुपये महीना भरण पोषण का आदेश दिया, लेकिन आरोपी ने आदेश नहीं माना। बाद में जब कोर्ट ने गिरफ़्तारी वारंट से तामील किया तो आरोपी ने भरण पोषण की राशि जो 50,000 हो चुकी थी जमा कराई।
पीड़िता का कहना है अब वो भरण पोषण केस में राजीनामे का दबाव बना रहा है , उसने हमारे रिलेशन के दौरान नशीला पदार्थ कोड ड्रिंक्स में मिलाकर आपत्तिजनक वीडियो फोटो लिए थे जिन्हें वो मेरे परिचितों को भेजकर मुझे बदनाम कर रहा है और ब्लैकमेल कर रहा है। पीड़िता ने आरोप लगाया कि इसमें आरोपी के साथ उसका रिश्ते का देवर भी मिला हुआ है।
ब्लैकमेल करने का मामला सामने आने के बाद पीड़िता ने अपने वकील के माध्यम से डिमांड ऑफ़ जस्टिस के तहत डीआईजी इंदौर के सामने बात रखी। पीड़िता के वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि डीआईजी के निर्देश पर थाना कुड़ेल में भारत धाकड़ के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया है। डीएसपी अजय वाजपेयी इस मामले के जाँच अधिकारी हैं। फिलहाल आरोपी रियल स्टेट कारोबारी पुलिस पकड़ से दूर है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....