सड़क किनारे फेंकी जा रही गरीबों की दवाएं, जिम्मेदार मौन

Shashank Baranwal
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Sehore News: सीहोर के बुधनी क्षेत्र से स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही की खबर सामने आई है। जहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तरफ से फ्री में मुहैया कराई जाने वाली दवाईयां सड़को पर बिखरी मिली। ज्यादातर दवाईयां एक्सपायरी डेट की थी। सरकार का आदेश है कि एक्सपायरी डेट वाली दवाओं को कहीं भी खुले में न फेंका जाए। फिर भी स्वास्थ्य केंद्र पर फ्री में मिलने वाली दवाएं सड़क के किनारे कूड़े के ढ़ेर में मिली है। वहीं इस तरह एक्सपायरी दवाओं के फेंके जाने से आम आदमी पर बुरा असर पड़ने की संभावना जताई गई है।

पहले भी सामने आ चुके हैं मामले 

बुधनी क्षेत्र में इस तरह दवाईओं का सड़क के किनारे फेंका जाना कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सरकार की तरफ से मिलने वाली मुफ्त दवाईयां कूड़े के ढेर में मिली है। जहां एक तरफ सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों को करोड़ो रुपये की दवाएं दी जाती है। वहीं ऐसी स्तिथि स्वास्थ्य विभाग पर सवालिया निशान खड़ा करती है।

बुधनी बन गया है सेफ जोन

बुधनी में सलकनपुर सड़क के किनारे और ताला गांव की ओर जाने वाली सड़क पर सरकारी और निजी अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल कचरे और एक्सपायरी दवाओं को फेंकने का सेफ जोन है।

स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव

इस तरह एक्सपायरी दवाईयों, मेडिकल कचरे का खुले में फेंके जाने से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इसके साथ ही जहां बारिश की वजह से पानी और गंदगी फैलने से डेंगू का डर बढ़ रहा है। वहीं सही वक्त पर दवाओं का न मिलना स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है।

गरीब की दवाईयां अस्पतालों में कम सड़को पर ज्यादा

सरकारी अस्पतालों में ज्यादातर इलाज गरीबों का होता है। इन अस्पतालों में गरीबों को मुफ्त में दवाईयां उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा दवाई न होने की बात कहकर बाहर की दवा लिख दी जाती है। वहीं दवाईयों ऐसी स्तिथि हैरान कर देने वाली है जो गरीबों के पास कम और सड़कों पर ज्यादा दिखाई दे रही है।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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