मुहेर गांव में भूमियों के क्रय विक्रय रोक के बाद एक और रजिस्ट्री आई सामने, डिप्टी कलेक्टर करेंगे उप पंजीयक के कारनामों की जांच

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सिंगरौली, राघवेन्द्र सिंह गहरवार। कलेक्टर के सख्त निर्देश के बावजूद उप पंजीयक ने मुहेर गांव की भूमि की रजिस्ट्रियां कर रहे हैं। एक के बाद एक उनके द्वारा किये गए कारनामे प्याज के छिलकों की तरह परत दर परत खुलने लगी है। इस पर अपर कलेक्टर ने कहा है कि उप पंजीयक के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही हैं। इन शिकायतों की जांच डिप्टी कलेक्टर बीपी पाण्डेय के नेतृत्व में करायी जायेगी। दरअसल एनसीएल ब्लाक बी गोरबी के पत्र के आधार पर 20 मार्च 2020 को ग्राम मुहेर एवं पडऱी गांव के चिन्हित किये गये भूमि आराजियों के क्रय, विक्रय एवं वारिसाना, रजिस्ट्री, नामांतरण आदि पर रोक लगा दिया था। इसके बावजूद पटवारी हल्का क्र.27 मुहेर के कई भूमि आराजियों को कलेक्टर ने मूल आदेश के बाद दो बार संशोधित आदेश जारी कर किसी भी हालत में क्रय, विक्रय न हो इसके लिए प्रतिबंधित किया।

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यहां बताते चलें कि कुछ आराजी छूट जाने के कारण संशोधित आदेश 20 मार्च 2020 को उक्त आराजियों के संबंध में आदेश जारी किया था। बावजूद इसके उप पंजीयक ने कलेक्टर के आदेश को रद्दी टोकरे में फेंकते हुए विक्रेता रघुनन्दन सिंह पिता दीनदयाल सिंह निवासी कठास खिर्वा रोड चमरखोह पोस्ट गोरबी, थाना मोरवा तहसील सिंगरौली की आराजी खसरा क्र. 987/1 (एस) कुल रकवा 0.9600 हे. विक्री रकवा 0.0200 हे. खरीददार रितु सिंह पत्नी मनीजर सिंह गोंड़ निवासी वार्ड नं.02, मुहेर, पोस्ट गोरबी, थाना मोरवा, तहसील सिंगरौली के नाम बिक्री किया। जहां आरोप है कि उप पंजीयक ने चंद पैसों के लालच में आकर 4 जनवरी 2022 को रजिस्ट्री कर दिया।

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आरोप है कि जब कलेक्टर ने मुहेर एवं पडऱी गांव के आराजियों के क्रय, विक्रय व वारिसाना पर पूरी तरह से प्रतिबंधित किया था फिर रजिस्ट्री कैसे हो गयी। चर्चा है कि इस तरह की अन्य कई रजिस्ट्रियां करायी गयी हैं धीरे-धीरे उप पंजीयक के क्रियाकलापों का पर्दा उठने लगा है। फिलहाल उप पंजीयक दफ्तर में कलेक्टर के आदेश को जब नजरअंदाज कर दिया जा रहा है तो ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यह सब किसके संरक्षण में किया जा रहा है। ऐसे में भाजपा सरकार की भी उप पंजीयक के कार्य पद्धति से खूब किरकिरी हो रही है।

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श्रमिक कर रहे हैं सत्यापन

उप पंजीयक दफ्तर में भर्रेशाही थमने का नाम नहीं ले रहा है। कलेक्टर के निर्देश पर पंजीयक अभिषेक सिंह ने उप पंजीयक को पिछले 15 दिन पहले 7 अप्रैल को एक नोटिस जारी कर दफ्तर में अनाधिकृत लोगों से कार्य लिये जाने का जबाव मांगा था, किन्तु सूत्र बता रहे हैं कि अभी तक उप पंजीयक ने इसका कोई जबाव नहीं दे पाया है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है, इधर उप पंजीयक दफ्तर के क्रियाकलापों उगाही बगाही व दलालों की एक और सनसनीखेज मामला सामने आया है। सूत्र बता रहे हैं कि रजिस्ट्री के पीडीएफ की जांच अनाधिकृत श्रमिकों के द्वारा किया जा रहा है और वे हस्ताक्षर भी करते हैं। अभी भी कई दलाल दफ्तर में दखल दे रहे हैं। उप पंजीयक का इनसे क्या रिश्ता व वास्ता है इस बात को लेकर सेवा प्रदाताओं में तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि रजिस्ट्री पीडीएफ में मजदूर, दलाल किसके आदेश पर सत्यापन कर रहे हैं।

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कलेक्टर के हस्तक्षेप पर हुआ था स्थानांतरण

उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार का तबादला 7 मार्च 2019 में सिंगरौली से उप महानिरीक्षक पंजीयन कार्यालय जबलपुर में हुआ था। किन्तु उप पंजीयक ने उक्त स्थानांतरण आदेश के विरूद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर किया था। जहां वाणिज्य कर विभाग मंत्रालय भोपाल ने अपना पक्ष न्यायालय में प्रस्तुत किया था। जहां तत्कालीन म.प्र.शासन वाणिज्य कर विभाग के उप सचिव एसडी रिछारिया ने चौकाने वाला तथ्य उल्लेख किया था। उन्होंने अवगत कराया था कि अशोक सिंह परिहार का तबादला सिंगरौली से एक वर्ष पश्चात ही किया था। इसका कारण यह था कि सिंगरौली में व्यापक भू-अर्जन के दौरान इनके द्वारा कलेक्टर व अन्य राजस्व अधिकारियों के साथ परस्पर समन्वय से कार्य नहीं किया जा सका। इस कारण उनका सिंगरौली में पदस्थ रहना विभाग व विभागीय उद्देश्यों के लिए उचित नहीं था। अब सवाल उठ रहा है कि जब उप पंजीयक पर इतने गंभीर आरोप थे फिर उन्हें एक साल के अंदर ही संशोधित आदेश के बाद जतारा से सिंगरौली वापस क्यों तबादला कर दिया गया। कहीं न कहीं लंबा खेला का मामला है।


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Ram Govind Kabiriya

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