जंगल बचाने की मुहिम शुरू, आदिवासियों को चौपाल लगा कर बता रहे वनों की उपयोगिता

Atul Saxena
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बागली/देवास , सोमेश उपाध्याय। अक्सर हमने नेताओं की चौपाल देखी है, परन्तु बागली में इन दिनों आदिवासियों के बीच वन विभाग की भी चौपाल लग रही है। दर असल पिछले दिनों वन अतिक्रमण को मुक्त करने को लेकर चर्चित रहे फारेस्ट एसडीओ अमित कुमार सोलंकी इन दिनों जंगल बचाओ मुहिम चला रहे हैं। एसडीओ अमित सोलंकी,  रेंजर मुस्कान शिवहरे के साथ आदिवासी बाहुल्य गांवों में पहुँच कर चौपाल लगाते हैं व ग्रामीणों को जंगल की उपयोगिता बताते हुए लोगों को जागरूक कर रहे हैं।

जंगल बचाओ मुहिम के अंतर्गत वन विभाग की टीम बागली के रायसिगपुरा पहुंची, जहां ग्रामीणों से संवाद बनाते हुए एसडीओ अमित सोलंकी ने अदिवासियों से कहा कि वर्तमान में जिस प्रकार देश में आबादी बढ़ रही है उस को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण हमारे लिए जंगल की सुरक्षा है। क्योंकि जंगल है तो जीवन है, पेड़ पौधों से हमें ऑक्सीजन मिलती है। लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिलने पर मनुष्य की क्या स्थिति होती है इसका नमूना हम विगत दिनों कोरोना कॉल की महामारी के दौर में देख चुके हैं। ऑक्सीजन के लिए लोग दर-दर भटक रहे थे। इसलिए हमें अब जागरूक होकर निजी स्वार्थ को एक तरफ रख कर जंगल की सुरक्षा को प्राथमिकता से लेना चाहिए।

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उन्होंने ग्रामीणों को जंगल में हो रहे अवैध अतिक्रमण एवं वृक्षों कि कटाई पर अंकुश लगाने को लेकर जागरूक किया।उन्होंने बताया कि मनुष्य का लालच कभी खत्म नहीं होता है, लेकिन इससे पहले हमें आने वाले कल के लिए सोचना होगा और आज के समय में जंगल की सुरक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।

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एसडीओ ने आदिवासियों को समझाते हुए बताया कि जंगल माफियाओं द्वारा भोलेभाले ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर जंगल में अवैध अतिक्रमण व अवैध कटाई के लिए प्रेरित करते हैं, यह अपराध होने के साथ ही हमारे भविष्य के लिए खतरा है, अब ग्रामीणों को ही जागरूक होना पड़ेगा और जंगल की सुरक्षा करना पड़ेगी, जंगलों में बढ़ रहे अतिक्रमण व वृक्षों की कटाई के कारण आने वाले समय में हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए ग्रामीणों को ही जिम्मेदारी लेते हुए जंगल की सुरक्षा करनी होगी।

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चौपाल के बाद आदिवासियों ने कहा कि पहली बार वन विभाग द्वारा इस प्रकार की ग्राम चौपाल आयोजित कर जंगल के प्रति ग्रामीणों को जागरूक किया गया है। ग्रामीणों ने वन विभाग के अधिकारियों को विश्वास दिलाया है कि वह उनकी उम्मीदों पर खरा उतर कर उनका सहयोग करेंगे और जंगल बचाने का पूरा प्रयास करेंगे। इस दौरान बागली, पुंजापुरा, जिनवाणी रेंज के अधिकारी व स्टाफ भी उपस्थित था।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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