महाकाल के दरबार में हुई दीपोत्सव की शुरुआत, बाबा का अभिषेक कर जलाई गई फुलझड़ियां

Diksha Bhanupriy
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Mahakal Mandir

Mahakal Diwali: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में हर त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। बाबा महाकाल उज्जैन के राजा है और उनके दरबार में कोई भी त्यौहार सबसे पहले मनाया जाता है और उसके बाद पूरी प्रजा यानी कि उज्जैन की जनता त्यौहार मनाती है। धनतेरस के शुभ अवसर से परंपरा अनुसार दीपावली पर्व की मंदिर में शुरुआत हो चुकी हैं। पुजारियों ने विधि विधान से भगवान का पूजन अर्चन कर अभिषेक किया और इसके पहले गुरुवार शाम की संध्या आरती में फुलझड़ी जलाकर दीपावली पर्व की शुरुआत की गई थी।

सबसे पहले महाकाल की दीवाली

बता दें कि पूरे देश में कोई भी पर्व सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में ही मनाया जाता है। होली हो या दीपावली सबसे पहले सभी तरह की धार्मिक परंपराएं महाकालेश्वर मंदिर में निभाई जाती है। गुरुवार की संध्या आरती में बाबा के सामने फुलझड़ी जलाकर दीपोत्सव पर्व की शुरुआत की गई। इसके बाद अब दीपावली, पड़वा और भाई दूज तक मंदिर में दीपोत्सव का उल्लास देखा जाएगा।

Mahakal

धनतेरस की पूजन

10 नवंबर को महाकाल में धनतेरस का पर्व मनाया गया और इस दिन पुजारी तथा उनके परिवार द्वारा विशेष पूजन अर्चन किया गया। इस दौरान देश में सुख समृद्धि और आरोग्य की कामना के साथ भगवान को चांदी का सिक्का अर्पित किया गया और इसकी विशेष पूजन अर्चन की गई।

मंदिर में विशेष पूजन

दीपावली उत्सव के तहत सुबह भस्म आरती में तो बाबा का विशेष अभिषेक और श्रृंगार हो चुका है लेकिन अब पुनः अभिषेक पूजन किया जाएगा और यह कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम मंदिर प्रशासक संदीप सोनी और अन्य अधिकारियों के मौजूदगी में संपन्न होगा। धनतेरस के दिन बाबा महाकाल को विशेष पूजन अर्चन के साथ गर्म जल से स्नान कराने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके बाद रूप चौदस पर भी भगवान को अभ्यंग स्नान करवाया जाएगा। जिसमें उन्हें हल्दी, चंदन, सुगंधित इत्र और द्रव्य अर्पित किया जाएगा। पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा बाबा को यह विशेष उबटन लगाया जाता है। इसके बाद महाकाल की कर्पूर आरती की जाती है।

12 नवंबर को दीपावली उत्सव

12 नवंबर की सुबह रूप चौदस की तिथि है और शाम को दीपावली का पर्व मनाया जाने वाला है। इस विशेष दिन पर सुबह तड़के 4:00 बजे होने वाली भस्म आरती से लेकर 10:30 बजे तक की शयन आरती तक बाबा के समक्ष फुलझड़ी प्रज्वलित की जाएगी और विशेष श्रृंगार होगा।  अगले दिन पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा गोबर से गोवर्धन बनाकर विशेष पूजन-अर्चन किया जाएगा।


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