Dhanteras 2023: हिंदू धर्म में दीपावली के त्यौहार का काफी महत्व माना जाता है और इस साल 10 नवंबर से दीपों के इस उत्सव की शुरुआत हो जाएगी। इस दिन धूमधाम से धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करने का विशेष महत्व माना जाता है। आज हम आपको बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन और श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनी आश्रम में मौजूद एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां पर धन के देवता कुबेर विराजित हैं।
कुबेर देवता के इस मंदिर में बहुत ही प्राचीन मूर्ति विराजित है। धनतेरस के मौके पर विशेष तौर पर लोग यहां पर पूजन का अर्चन करने के लिए पहुंचते हैं। मान्यताओं के मुताबिक यहां विराजित मूर्ति की नाभि में इत्र लगाने से भक्त को कभी भी अपने जीवन में धन संपत्ति की कमी का सामना नहीं करना पड़ता और वह सारी सुख-सुविधाओं की प्राप्ति करता है। चलिए आपको इस मंदिर के बारे में जानकारी देते हैं।
धन की पोटली लिए बैठे हैं कुबेर
इस मंदिर में कुबेर देवता की जो मूर्ति है वह अपने साथ एक धन की पोटली लिए हुए बैठी है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जब द्वापर युग में भगवान कृष्ण अपने भाई बलदाऊ के साथ गुरु सांदीपनी से शिक्षा प्राप्त करने के लिए उज्जैन पहुंचे थे। तब शिक्षा पूर्ण होने के बाद गुरु दक्षिणा की बारी आने पर भगवान की तरफ से कुबेर देवता धन की पोटली लेकर यहां पहुंचे थे। आज भी यहां स्थित कुंडेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में धन की पोटली लिए कुबेर देवता की मूर्ति विराजित है।
इत्र लगाने से होते हैं प्रसन्न
धनतेरस पर भगवान कुबेर की इस प्रतिमा के दर्शन करने और पूजन अर्चन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पर पहुंचते हैं। इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि अगर कुबेर देवता की नाभि में इत्र लगाया जाता है, तो वह भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं और उन्हें सुख समृद्धि, ऐश्वर्य और वैभव का आशीर्वाद देते हैं। मंदिर के पुजारी धनतेरस के अवसर पर कुबेर देवता का विशेष श्रृंगार कर उन्हें आभूषण पहनाते हैं। गोधूलि बेला में यहां महाआरती का आयोजन किया जाता है और सुख समृद्धि के लिए भक्तों को कुबेर यंत्र भी बांटा जाता है।