Transfer News : अधिकारियों कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, कब हटेगा तबादलों से बैन? कब आएगी ट्रांसफर पॉलिसी ? जानें नई अपडेट

मीडिया रिपोर्ट्स की ताजा खबरों की मानें तो मार्च अप्रैल तक नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू की जा सकती है, क्योंकि एमपी सरकार नहीं चाहती कि मिड सेशन में तबादले से कोई अव्यवस्था हो ।

Pooja Khodani
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Transfer in Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को महंगाई भत्ते की तरह नई तबादला पॉलिसी के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।खबर है कि इस साल तबादलों से बैन नहीं हटना मुश्किल है, क्योंकि मोहन सरकार मिड-सेशन में ट्रांसफर करने के मूड में नजर नहीं आ रही है, ऐसे में तबादला पॉलिसी अब नए साल तक टलने की संभावना है।

दरअसल, डेढ़ साल से ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन अबतक तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है, जिसके चलते कर्मियों में नाराजगी बढ़ रही है।हालांकि बीते दिनों कैबिनेट बैठक में अनौपचारिक चर्चा में मंत्रियों ने CM के सामने अपनी बात रखते हुए कहा था कि राज्य में 2 साल से तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है, प्रशासनिक और व्यवाहरिक दृष्टि से जमावट करना आवश्यक है इसलिए नई तबादला नीति जल्द घोषित की जाना चाहिए, ताकी प्रदेश में तबादले हो सके, ऐसे में संभावना जताई जा रही थी कि BJP सदस्यता अभियान और MP विधानसभा उपचुनाव के बाद अक्टूबर अंत तबादलों से बैन हटाने पर विचार हो सकता है, लेकिन अबतक कोई फैसला नहीं लिया गया है।

नए साल तक टल सकती है नई तबादला नीति

मीडिया रिपोर्ट्स की ताजा खबरों की मानें तो मार्च अप्रैल तक नई ट्रांसफर पॉलिसी लागू की जा सकती है, क्योंकि एमपी सरकार नहीं चाहती कि मिड सेशन में तबादले से कोई अव्यवस्था हो ।इसके अलावा तबादले न होने के पीछे बड़ी वजह स्कूल शिक्षा विभाग है, क्योंकि इसमें कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है। वही बोर्ड समेत सभी वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी शुरू हो गई, ऐसे में बीच सत्र तबादले होने से व्यवस्था गड़बड़ा सकती है, ऐसे में सरकार फिलहाल बैन हटाने के मूड में नहीं है।अगर बहुत आवश्यक हुआ तो सीएम मोहन यादव के समन्वय से तबादले किए जाते रहेंगे, जिस तरह से अभी हो रहे है। चर्चा तो ये भी है कि बैन हटते ही बड़ी प्रशासनिक सर्जरी देखने को मिल सकती है।

बैन हटा तो किसी भी संवर्ग में 20% से अधिक तबादले नहीं होंगे

आमतौर पर राज्य सरकार प्रतिवर्ष मई-जून में तबादलों से बैन हटाती है। इसमें अधिकतम 20% तबादले करने का अधिकार विभागीय मंत्रियों को दिया जाता है। सुत्रों की मानें तो नई तबादला नीति के तहत अगर बैन हटाया जाता है तो एक निश्चित अवधि में प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले होंगे, लेकिन किसी भी संवर्ग में 20% से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के जिले के भीतर तबादले करने का अधिकार प्रभारी मंत्रियों तो राज्य स्तर पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन उपरांत तबादले होंगे। गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जा सकती है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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