कलेक्ट्रेट पहुंचे सब्जी विक्रेता हुए निराश, नहीं मिले कलेक्टर, मुलाकात होने तक रुकने का फैसला

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। संभाग आयुक्त की बात का भरोसा कर कलेक्टर से मिलने कलेक्ट्रेट पहुंचे सब्जी विक्रेताओं को निराशा ही हाथ लगी है। वाहन रैली निकालकर सुबह कलेक्ट्रेट पहुंचे सब्जी विक्रेता कड़ी धुप में दिनभर सेक्स कलेक्ट्रेट पर खुले आसमान के नीचे बैठे हैं।  उनका कहना है कि वे अब तब ही यहाँ से हटेंगे जब उनकी मांग का कोई उचित फैसला होगा।

ग्वालियर की थोक सब्जी मंडी लक्ष्मीगंज मंडी को उसके पीछे बनी नविन सब्जी मंडी में विस्थापित करने का बहुत से सब्जी विक्रेता किसान, आढ़तिया, व्यापारी और छोटे दुकानदार विरोध कर रहे हैं। इसके लिए लगातार आंदोलन किया जा रहा है। अखिल भारतीय किसान सभा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी सहित कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं।

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अखिल भारतीय किसान सभा के राज्य सचिव एवं वरिष्ठ माकपा नेता अखिलेश यादव ने बताया कि 12 जुलाई को सब्जी विक्रेताओं ने संभाग आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर जिला प्रशासन की कार्रवाई को रुकवाने का निवेदन किया था जिसपर संभाग आयुक्त ने कहा कि 14 जुलाई को कलेक्टर आपसे मुलाकत करेंगे।

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14 जुलाई को कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह से मुलकात के लिए सब्जी विक्रेताओं ने 13 जुलाई को लक्ष्मीगंज सब्जी मंडी में बैठक की और कलेट्रेट तक एक वाहन रैली की शक्ल में पहुँचने का फैसला किया।  14 जुलाई बुधवार को सब्जी विक्रेता कलेट्रेट पहुंच गए लेकिन यहाँ उन्हें निराशा हाथ लगी। कलेक्ट्रेट में कलेक्टर नहीं थे।

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सब्जी विक्रेताओं ने तय किया कि कलेक्टर से मुलाकात कर ही वापस जाएंगे।  लेकिन सुबह से शाम होने तक कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह कलेक्ट्रेट नहीं पहुंचे वे किसी काम में व्यस्त थे। लेकिन सब्जी विक्रेता वहीं जमे रहे, शाम करीब छह बजे एडीएम टी एन सिंह और विश्वविद्यालय थाना प्रभारी ने आकर ज्ञापन लिया तथा आश्वासन दिया कि इस पूरे मामले में 16 जुलाई को सुबह 11 बजे कलेक्टर से प्रतिनिधि मंडल मिलकर मुलाकात कर सकेंगे।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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