युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रांत भूरिया का सवाल ‘किसने छीना आदिवासियों का हक?’

मध्यप्रदेश के युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और विधायक विक्रांत भूरिया ने एक त्वीट करते हुए सरकार से कड़े सवाल पूछे और आदिवासी अनुसूचित जनजाति उपयोजना के 207 करोड़ रुपये को दूसरे विभाग में हस्तांतरित कर देने को लेकर विरोध जताया।

Rishabh Namdev
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विक्रांत भूरिया ने मोहन सरकार का विरोध करते हुए यह पूछा है कि “आदिवासियों का हक कब तक मारोगे!” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह बजट आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और क्षेत्र विकास के लिए होना था लेकिन इसे महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंप दिया गया है।

दरअसल युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने मध्यप्रदेश सरकार के आदिवासी अनुसूचित जनजाति उपयोजना के बजट में हुए 207 करोड़ रुपये के दूसरे विभाग में हस्तांतरण होने के खिलाफ़ अपनी आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने एक्स पर ट्वीट करते हुए इस निर्णय को न्यायिक रूप से गलत और अन्यायपूर्ण बताया है। उन्होंने सरकार से यह भी कहा है कि आदिवासियों के हक का सम्मान किया जाए और बजट को सही विभागों में हस्तांतरित किया जाए।

इस दौरान विक्रांत भूरिया ने भाजपा सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा की ‘जिस तरह से सरकार ने जो (Tribal Subplan) प्लान का पैसा दूसरे विभाग में उपयोग किया है, ये आदिवासियों के साथ पूरी तरह से ज्यादती है।

https://twitter.com/VikrantBhuria/status/1754725042439479321?s=20

आदेश पत्र की कॉपी की साझा

उन्होंने अपने ट्वीट में आदेश पत्र की कॉपी भी साझा की है, जिसमें आदिवासी अनुसूचित जनजाति उपयोजना के शेष 207 करोड़ रुपये को महिला एवं बाल विकास विभाग को दिए जाने की बात कही गई है।

इस दौरान उन्होंने सरकार से कड़े सवाल किए और लिखा की आदिवासियों का हक कब तक मारा जाएगा। अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा की – ‘आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है। झाबुआ क्षेत्र में जब वन अधिकार ने पट्टे नहीं दिए तो उसके कारण दो आदिवासी ने जहर खा लिया। तो क्या ये आदिवासियों के साथ सही हो रहा है और इसका जवाब निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री को भी देना चाहिए और मुख्यमंत्री को भी देना चाहिए। ‘


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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