भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madha pradesh) में कमलनाथ (kamalnath) के विधायकों (mlas) के टूटने का सिलसिला अब भी जारी है। कल राहुल सिंह लोधी (Rahul singh lodhi) के कांग्रेस (Congress) पार्टी से इस्तीफा देते ही कांग्रेस को 26 विधायक का झटका लगा है और इसके साथ ही सत्ता में वापसी की राह से कांग्रेस एक कदम और पीछे हो गई है। अब ऐसे में जहां कांग्रेस को सत्ता में वापसी के लिए 21 सीटों पर जीत की जरूरत है। वहीं कांग्रेस के मुकाबले भाजपा की राह काफी आसान नजर आ रही है।
दरअसल मध्य प्रदेश में होने वाले 28 सीटों पर उपचुनाव के 9 दिन पहले ही कांग्रेस के एक नेता और उसके पहले को छोड़ बीजेपी में शामिल हो गया। दमोह सीट से विधायक राहुल सिंह लोधी के पद से इस्तीफा देने के साथ ही विधानसभा की एक और सीट रिक्त घोषित कर दी गई। इस्तीफा देने के घंटे बाद ही भाजपा दफ्तर में सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की मौजूदगी में राहुल ने बीजेपी का हाथ थाम लिया।
राहुल लोधी ने कमलनाथ पर लगाए कई आरोप
एक तरफ जहां बीजेपी इसे कांग्रेस के नेतृत्व क्षमता की कमी बता रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस एक बार फिर बीजेपी पर विधायक खरीदने का आरोप लगा रही है। पार्टी छोड़ने के बाद राहुल लोधी ने कमलनाथ पर कई आरोप लगाए। राहुल लोधी ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने आश्वासन दिया था कि दमोह में मेडिकल कॉलेज खोला जाएगा लेकिन 15 महीने के शासनकाल में दमोह के लिए किसी भी तरह के विकास कार्य नहीं हुए। जनता से जो वादे मैंने किए थे। उसे अब शिवराज सरकार पूरा करेगी।
कुछ और कांग्रेसी संपर्क में- बीजेपी
वहीं दूसरी तरफ कमलनाथ, दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गजों ने बीजेपी पर विधायक खरीद-फरोख्त का इल्ज़ाम लगाया है। किंतु कांग्रेस के पाले से 26 विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं जिसके बाद विधानसभा में कांग्रेस के 87 विधायक बचे हैं। वहीं बीजेपी का कहना है कि कुछ और कांग्रेसी उनके संपर्क में है। बीजेपी की तरफ से माने तो राहुल के बीजेपी में शामिल होने के बाद तरबर सहित धार विधायक एवं एक अन्य के भाजपा के संपर्क में होने की चर्चा तेज है।
विधायकों का बीजेपी से चर्चा से इंकार
हालांकि तरबर की तरफ से साफ इंकार कर दिया गया और उनका कहना है कि वह कांग्रेस में थे और कांग्रेस में ही रहेंगे। वह पार्टी के साथ गद्दारी नहीं कर सकते। जबकि धार जिले के धरमपुरी विधानसभा से कांग्रेस विधायक पांचीलाल मेड़ा ने कहा है कि किसी भी बीजेपी नेता से उनकी चर्चा नहीं हुई है। वह कांग्रेस में थे और कांग्रेस में ही रहेंगे। हालांकि बीजेपी (bjp) में संपर्क होने वालों में विधायक झूमा सिंह सोलंकी का भी नाम लिया जा रहा है।
सत्ता का पहला समीकरण
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या 107 है। वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायकों की संख्या घटकर 87 पहुंच गई है। जिसके बाद एक सिर्फ रिक्त होने से सदन में संख्या पर 229 माना जा रहा है। इसके आधार पर 115 सीट बहुमत साबित होगी। इस हिसाब से बीजेपी को बहुमत हासिल करने के लिए 8 सीटों पर जीत दर्ज करने की जरूरत है जबकि कांग्रेस को 28 सीट जीतना जरूरी है।
जीत के लिए दूसरा समीकरण
वहीं दूसरे समीकरण की बात करें तो 7 ऐसे विधायक हैं जो सत्ता पक्ष के साथ रहने की बात पहले ही कर चुके हैं। जिसके बाद सत्ता तक पहुंचने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या 108 मानी जा रही है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के पास 87 विधायकों की संख्या है और उसे सत्ता हासिल करने के लिए 21 सीटों पर जीत की जरूरत है। वहीं भारतीय जनता का पार्टी के पास 107 विधायक बल मौजूद है और उसे सत्ता में बने रहने के लिए एक सीट पर जीत हासिल करनी होगी।