भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में 15 महीने ही सत्ता में रह पाई कांग्रेस (Congress) के गम और दुखड़े तो बहुत हैं, लेकिन उसे एक बात का सुकून भी है। सवा साल के कार्यकाल में ही उसे दूसरी पंक्ति के परखे हुए नेताओं की अच्छी खेप मिल गई। चुनावी दंगल में इन युवा नेताओं की ‘टीआरपी’ कई स्थापित दिग्गजों पर भारी पड़ रही है। चुनावी सभाओं के लिए इन युवा तुर्कों की डिमांड एकाएक बढ़ गई है। उपचुनाव की 28 सीटों पर भाजपा के भारी-भरकम चुनाव प्रबंधन और स्टार प्रचारकों को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने इन नेताओं को मोर्चे पर तैनात किया है।
ग्वालियर-चंबल अंचल (Gwalior Chambal Anchal) से लेकर अन्य सीटों पर प्रचार युद्ध में भाजपा (BJP) शुरू से ही बढ़त पर है। लेकिन कांग्रेस ने शुरूआती सभाओं में जब अपनी ‘बी’ टीम को प्रचार की कमान सौंपी तो उनकी आक्रामक, चुटीली भाषण शैली और मंचीय भाव-भंगिमाएं लोगों को भाने लगीं। ये युवा तुर्क कांग्रेस के लिए ‘क्राउड-पुलर’ साबित हुए। जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के हिसाब से भी यह युवा ब्रिगेड कई विधानसभा क्षेत्रों में ‘भूखे-नंगे और आयटम’ जैसे जुमलों की काट भी ‘गद्दार और बिकाऊ’ जैसे जुमलों से रोचक अंदाज में पेश करने में जुटी है।