Banarasi Paan Story : जब देश में स्वतंत्रता की लड़ाई छेड़ी गई थी, तब बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई इस लड़ाई में अपनी भागीदारी निभाते हुए नजर आया। वहीं सभी ने मिलकर अंग्रेजों को भी जमकर परेशान किया था। लेकिन क्या आप जानते हैं स्वतंत्रता की लड़ाई में बनारसी पान ने अंग्रेजों को खूब परेशान कर डाला था?दरअसल बनारसी पान से अंग्रेज अफसर इतने ज्यादा परेशान हो गए कि उन्होंने इस पर बैन तक लगा दिया था। कहा जाता है कि सिर्फ बनारसी पान ही नहीं बल्कि बनारसी मिठाईयां ने भी अंग्रेजों को खूब परेशान किया था। आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं आखिर ऐसा क्या हुआ था कि बनारसी पान के साथ वहां की मिठाईयां ने अंग्रेजों को खूब परेशान किया?
ये है Banarasi Paan को बैन करने की वजह
जैसा कि आप सभी जानते हैं देश ही नहीं दुनिया भर में भोलेनाथ की नगरी काशी प्रसिद्ध है। इतना ही नहीं यहां मिलने वाला पान और मिठाइयां भी बेहद प्रसिद्ध है। जो भी व्यक्ति बनारस जाता है वह बनारसी पान खाए बगैर वापस नहीं लौटता। दरअसल बनारस का जिक्र हो और उसे महफिल में बनारसी पान नहीं हो तो वह महफ़िल अधूरी मानी जाती है। काशी के बनारस का पान मुंह में डालते ही मिठास छोड़ देता है। यह बेहद प्रसिद्ध है और लोग इसे खाना काफी ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन हरे पान के साथ कत्थई लाल रंग में अंग्रेजों को ऐसा क्या दिखा जो अंग्रेजों ने इसे घबरा कर उसे पर बैन लगा दिया?
जानकारी के मुताबिक, बनारस के एक मशहूर पान की दुकान के मालिक द्वारा स्वतंत्रता की कहानी बताते हुए यह बताया गया कि जब आजादी का वक्त था तब क्रांतिकारियों की गतिविधियां काफी ज्यादा हद तक बढ़ गई थी। इसी दौरान अंग्रेजों ने पान खाने और खिलाने पर बैन लगा दिया था। क्योंकि अंग्रेजों को ऐसा लगता था कि आजादी की लड़ाई में पान काफी ज्यादा प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
उस वक्त रणभेरी अख़बार क्रांतिकारियों की विचारधारा का समर्थक बन गया था जब अंग्रेजों ने पान पर बैन लगा दिया था। दरअसल पान पर बैन लगाने के बाद यही इकलौता ऐसा अखबार था जिसके नीचे छिपकर लोग घर-घर तक पान पहुंचाया करते थे। अंग्रेजों को इस बात का डर था कि पान की दुकान पर क्रांतिकारी का एक साथ इकट्ठा होना मतलब खुफिया संदेश इधर से उधर भेजना। इसी बात को अंग्रेजी अधिकारी समझ नहीं पाए इसलिए उन्होंने पान पर बैन लगा दिया था।
लेकिन जब बनारस की पान को बैन किया गया था तब बनारसी मिठाइयों से अंग्रेजों को परेशान करने का तरीका क्रांतिकारियों ने ढूंढ लिया था। लोग बनारस की गलियों में हाथों में लड्डू, गांधी गौरव, मदन मोहन, वल्लभ संदेश, नेहरू बर्फी लेकर निकल पड़े थे। इसमें बच्चों से लेकर बड़ों तक सबके हाथ में तिरंगा बर्फी सबसे ज्यादा देखने को मिली। उसे समय बिना रंगों के इस्तेमाल किया तिरंगे रंग की मिठाई बनाई गई थी। बनारस की लगभग हर मिठाई की दुकान पर तिरंगा बर्फी अंग्रेजों को देखने को मिल रही थी जो उनकी आंखों में काफी ज्यादा परेशान कर रही थी। इसी वजह से अंग्रेज और ज्यादा परेशान हो गए थे।