सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, पुरानी पेंशन लागू करने पर सीएम का बड़ा बयान

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Old Pension Scheme 2023 : आगामी चुनावों से पहले देशभर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर बहस छिड़ी हुई है। देश के 4 राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड में पुरानी पेंशन योजना लागू हो गई है और जल्द ही हिमाचल प्रदेश में भी बहाल की तैयारी है । इसी बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया (Montek singh Ahluwalia) की ओपीएस पर टिप्पणी करने के बाद अब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का बड़ा बयान सामने आया है।

राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने जयपुर में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हमने ओपीएस पब्लिक इंट्रैस्ट में लागू किया।अगर सरकारी कर्मचारी करप्शन करेंगे, तो अच्छा लगेगा क्या ? अगर कर्मचारी को पेंशन नहीं देंगे, तो 35 साल तक वह सोचेगा कि मैं पैसे कैसे कमाऊँ। जिससे मेरा बुढ़ापा ठीक निकले। मानवीय दृष्टिकोण भी है कि वह तकलीफ में रहेगा। टेंशन में काम करेगा। गुड गवर्नेंस में पूरी तरह भागीदारी नहीं निभा पाएगा, ऐसा मेरा मानना है।

सीएम ने आगे कहा कि हमारी सरकार ने वित्तीय प्रबंधन किया है। कोई काम ऐसा नहीं है, जो हो नहीं सकता है। राज्य कर्मचारी के लिए 60 साल तक ओपीएस लागू करके और पेंशन देकर भी विकास कर सकता है।  सीएम गहलोत ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने भेदभाव किया है। आर्मी, बीएसएफ, पैरा मिलिट्री फोर्सेज और इंडो-तिब्बतियन पुलिस को ओपीएस नही दी। ये भेदभाव क्यों किया ? इसका जवाब दें।

क्या कहा था योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने

बता दे कि दो दिन पहले योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने राज्य सरकारों को आगाह करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन योजना को वापस लाना एक प्रतिगामी कदम हो सकता है और वित्तीय दिवालियापन की ओर ले जा सकता है। देश और दुनिया आज जिन आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है, उसे देखते हुए इसे लाने का कदम एक ‘बेतुका विचार’ हो सकता है। कुछ समय पहले उन्होंने कहा था कि ओपीएस राज्य सरकारों द्वारा दिए जाने वाले सबसे बड़े सेस में से एक है। विशेष रूप से, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्सर राजनीतिक दलों के स्वतंत्र लगाम की संस्कृति को विकसित करने और बढ़ावा देने के खिलाफ बात की थी।

जानें अंतर OPS और NPS में

 

  • पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकार द्वारा कर्मचारियों-पेंशनरों को पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, इसे 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया गया था।नई योजना के अनुसार, देश में 1 जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है ।
  • NPS कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन में योगदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत का योगदान करती है।OPS के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
  • OPS में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी, NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है।पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है, रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।
  • पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है।
  • NPS पर रिटर्न अच्‍छा रहा तो प्रोविडेंट फंड (Provident Fund) और पेंशन (Pension) की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छी राशि भी मिल सकती है।  ये शेयर बाजार पर निर्भर रहता है. लेकिन कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है।

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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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