Haryana Contract Employees: आज सोमवार को हरियाणा में सीएम नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में अहम कैबिनेट बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में एक दर्जन प्रस्तावों पर चर्चा कर मंजूरी दी जाएगी। संभावना है कि इस बैठक में अस्थायी कर्मचारियों को स्थाई करने पर फैसला लिया जा सकता है। चर्चा तो ये भी है कि संविदा सेवा दे चुके कर्मचारियों को स्थायी करने के लिए विभाग ने ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की है, जिसके आज कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है।
कच्चे कर्मचारी होंगे नियमित? कैबिनेट में फैसला आज
दरअसल, आज मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में ग्रुप सी और ग्रुप डी के अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने पर चर्चा होने की संभावना है। मंत्रियों से चर्चा के बाद नियमितीकरण नीति पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।इसमें 5 साल, 8 साल और 10 साल से ज्यादा सर्विस वाले अस्थायी कर्मचारियों को रेगुलर करने पर फैसला हो सकता है। मंत्रिमंडल की बैठक में मानसून सत्र की तारीख और अग्नि वीरों को नौकरियों में 10% आरक्षण, न्यायिक अधिकारियों की पेंशन व फैमिली पेंशन बढ़ाने, हरियाणा गुरुद्वारा चुनाव आयोग से संबंधित एजेंडा समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी।
9 सदस्यीय टीम गठित, इन कर्मचारियों को मिल सकता है लाभ
- गौरतलब है कि अक्टूबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होना है, ऐसे में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का मुद्दा गर्माया हुआ, हाालांकि इसके लिए मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने 9 सदस्यों की कमेटी गठित की है, जिसमें आठ वरिष्ठ आइएएस अधिकारी शामिल हैं।ये कमेटी पुराने कोर्ट केस और किस तरीके से कर्मचारियों को पक्का किया जाए, इस पर मंथन कर रही है
- इस संबंध में कमेटी अपनी पहली बैठक कर चुकी है, जिसमें सभी विषयों पर चर्चा की गई।हालांकि 5 साल सेवा कर चुके कर्मचारियों को मौका दिया जाए या फिर 7 साल सेवा वाले को, इसको लेकर भी अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। संभावना है कि आज कैबिनेट बैठक में कर्मचारियों को पक्का करने के लिए पॉलिसी को मंजूरी मिल सकती है।
सरकार के सामने ये है बड़ी चुनौती
यदि हरियाणा सरकार 5 साल सेवा कर चुके कर्मचारियों को पक्का किया तो डेढ़ लाख कर्मियों को लाभ मिलेगा, वहीं सात साल सेवा कर चुके वाले कर्मचारियों को परमानेंट किया तो 90 हजार कर्मियों को लाभ मिलेगा। इसके लिए प्रदेश के मुख्य सचिव सभी विभागों से दो बार कच्चे कर्मचारियों (पांच और सात साल सेवा वाले) का डाटा मंगवा चुके हैं, लेकिन कौशल निगम में समायोजित कर्मचारियों का कार्यकाल हर बार एक वर्ष तक बढ़ाया जाता है, ऐसे में कर्मचारियों को पक्का करना राज्य सरकार के लिए बड़ी ढेड़ी खीर साबित हो सकती है।