कर्मचारी-पेंशनर्स के लिए HC का महत्वपूर्ण फैसला, 3 महीने में होगा राशि का भुगतान, 2004 से पारिवारिक पेंशन सहित मिलेंगे वित्तीय लाभ, खाते में बढ़ेगी राशि

Kashish Trivedi
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Pensioners Pension, High court on Family Pension : कर्मचारियों के पेंशन और पारिवारिक पेंशन पर हाई कोर्ट द्वारा महत्वपूर्ण फैसला दिया गया है। कर्मचारी के हित में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों को 2004 से पेंशन सहित सभी वित्तीय लाभ उपलब्ध कराए जाएं। इसके साथ ही कर्मचारियों के परिवार को पारिवारिक पेंशन का लाभ मिलेगा।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा कर्मचारियों के पेंशन मामले में महत्वपूर्ण व्यवस्था की गई है। अदालत ने कहा कि किसी कर्मचारी के पेंशन का लाभ एक संवैधानिक अधिकार है और उन्हें पेंशन लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है। हिमाचल हाई कोर्ट के न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाज दुआ ने कहा है कि पेंशन प्राप्त करने का अधिकार संपत्ति के अधिकार के समान है। कानून के अधिकार के बिना किसी व्यक्ति को उसकी पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता है।

पारिवारिक पेंशन देने के आदेश

अदालत ने कर्मचारी पत्नी की मृत्यु के बाद पति को पारिवारिक पेंशन देने के आदेश दिए हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता रंजन कुमार को 3 हफ्ते के भीतर पारिवारिक पेंशन, बकाया राशि के साथ अदा की जाए। सुनवाई के बाद अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को उसकी पत्नी की मृत्यु की तिथि से पेंशन का लाभ न दिए जाने का निर्णय संविधान व पेंशन नियम के विपरीत है। वही 17 फरवरी 2004 से याचिकाकर्ता को पेंशन सहित सभी वित्तीय लाभ अदा करने के आदेश दिए गए हैं।

यह है मामला 

बता दें कि याचिकाकर्ता की पति 1 जनवरी 1993 को लोक निर्माण विभाग के खंड मंडी के बेलदार के पद पर बतौर दैनिक भोगी तैनात हुई थी। दैनिक भोगी के 10 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद एक जनवरी 2023 से उन्हें नियमित होने की पात्रता थी लेकिन विभाग ने उनकी सेवाओं को नियमित नहीं किया। 17 फरवरी 2004 को उसकी मृत्यु हो गई और उसके बाद याचिकाकर्ता ने विभाग से 10 वर्ष पूरे होने पर नियमितीकरण का लाभ देने की गुहार लगाई।

हालांकि लंबी कानूनी लड़ाई के बाद विभाग ने वर्ष 2018 में मृतक कर्मचारी की सेवाएं 1 जनवरी 2003 से नियमित करने का फैसला लिया है। 4 मई 2022 को विभाग ने याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन देने का निर्णय लिया लेकिन याचिकाकर्ता कोई अलग उसकी पत्नी की मृत्यु की तिथि से नहीं दिया गया। जिसके बाद याचिकाकर्ता द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी।


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