सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, मिलेगा वेतन वृद्धि का लाभ, पढ़े सुप्रीम कोर्ट का यह बड़ा फैसला

Pooja Khodani
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Government Employees :  सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सरकारी कर्मचारियों के हित में वार्षिक वेतन वृद्धि से संबंधित एक बड़ा अहम फैसला दिया है। इसके तहत अब सेवानिवृत्ति की अवधि तक सरकारी कर्मचारी वेतन वृद्धि के हकदार माने जाएंगे। इससे पहले हाई कोर्ट की एकल न्यायाधीश की पीठ ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन हाई कोर्ट की खंडपीठ ने उस आदेश को खारिज कर दिया था।

इन कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

दरअसल, राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (केपीटीसीएल) की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे सभी सरकारी कर्मचारी वार्षिक वेतन वृद्धि पाने के हकदार हैं, जो उस अवधि तक रिटायर ना हुए हो, ऐसे सभी कर्मचारियों को आर्थिक लाभ दिया जाना चाहिए भले ही वे यह लाभ पाने के एक दिन बाद ही सेवानिवृत्त क्यों न हो जाएं।

कर्मचारी वार्षिक वेतन वृद्धि के हकदार

केपीटीसीएल ने कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ के निर्णय को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारी वार्षिक वेतन वृद्धि के हकदार थे, भले ही वे उसके अगले ही दिन रिटायर हो गए हो। जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने केपीटीसीएल की याचिका खारिज करते हुए कहा अपीलकर्ता (केपीटीसीएल) की ओर से यह दलील दी गई है कि वार्षिक वेतनवृद्धि प्रोत्साहन के रूप में है और यह कर्मचारी को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर है, ऐसे में जब वह सेवा में नहीं है तो वार्षिक वेतनवृद्धि का कोई सवाल ही नहीं है। इस दलील का कोई मतलब नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

पीठ ने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी को एक वर्ष की सेवा के दौरान उसके अच्छे आचरण के आधार पर वार्षिक वृद्धि प्रदान की जाती है, बशर्ते उसे दंड के रूप में रोका न गया हो या उसे दक्षता के साथ जोड़ा न गया है। इसलिए, वेतन वृद्धि एक वर्ष या निश्चित अवधि के दौरान अच्छे आचरण के साथ सेवा प्रदान करने के लिए अर्जित की जाती है।वार्षिक वेतन वृद्धि के लाभ की पात्रता पहले से प्रदान की गई सेवा के कारण है। सिर्फ इसलिए की कोई कर्मचारी अगले दिन सेवानिवृत्त होने वाला है, उसे वार्षिक वेतन वृद्धि के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता जिसे उसने गुजरते साल के दौरान अच्छी सेवा के लिए अर्जित किया है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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