कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर, हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, होंगे नियमित, रेगुलर कर्मचारियों की तरह मिलेगा लाभ, वेतन-भत्ते-पेंशन में मिलेगी वृद्धि

Kashish Trivedi
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Employees Regularization : कर्मचारियों के हित में हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।। दरअसल अस्थाई कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्णआदेश दिए हैं। इसके साथ ही उन्हें रेगुलर कर्मचारी की तरह वेतन पेंशन का लाभ दिया जाएगा। साथ ही उन्हें अन्य भत्ते भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

दैनिक वेतन भोगी को नियमित करने के आदेश 

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में महत्वपूर्ण फैसले में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पूर्व में कार्य दैनिक वेतन भोगी को नियमित करने के आदेश दिए। साथ ही राज्य शासन के आदेश को सही ठहराया गया है। विश्वविद्यालय के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की याचिका को मंजूर करते हुए कोर्ट ने उन्हें नियमितीकरण की तिथि से नियमित कर्मचारी के रूप में सभी लाभ देने का हकदार माना है। वही कोर्ट के इस आदेश के बाद अब कर्मचारियों को बड़ा लाभ मिलने वाला है।

22 अगस्त 2008 को दिए गए थे नियमित करने के आदेश 

गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी के विजय कुमार गुप्ता सहित कई कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के पद पर कार्यरत है। सभी राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से 10 साल या उससे अधिक समय से पदस्थ थे। उसी समय 22 अगस्त 2008 को राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

समान वेतन देने की प्रक्रिया पर रोक

जारी आदेश के तहत 10 साल से अधिक समय से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित किए जाने से इस आदेश के तहत उच्च शिक्षा संचालक द्वारा 26 अगस्त 2008 को विभाग में कार्यरत ऐसे कर्मचारियों को स्वर वित्तीय योजना के तहत नियमितीकरण और नियमित वेतनमान देने के आदेश दिए गए थे।हालांकि 2009 तक इन्हें नियमित वेतन भी उपलब्ध कराए गए थे लेकिन 2009 के बाद इन्हें नियमित कर्मचारियों के समान वेतन देने की प्रक्रिया को रोक दिया गया।

रजिस्ट्रार ने नियमितीकरण आदेश को कर दिया था रद्द

वही 10 फरवरी 2010 को तत्कालीन रजिस्ट्रार ने 22 सितंबर 2008 को जारी शासनादेश के नियमितीकरण आदेश को रद्द कर दिया है। रजिस्ट्रार के इस आदेश को चुनौती देते हुए कर्मचारियों द्वारा अधिवक्ता दीपाली पांडे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस दौरान गुरु घासी राम विश्वविद्यालय को राज्य सरकार के केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में स्वीकार किया गया था।

हाईकोर्ट का आदेश 

हवाई कर्मचारियों की याचिका पर हाईकोर्ट ने पिछले लंबे समय से सुनवाई चल रही थी। इसके बाद से कर्मी 10 साल से हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे। वही 22 नवंबर 2000 को जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच ने बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसमें मार्च को कोर्ट में फैसला सुनाया गया है। कर्मचारी की याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने उन्हें पूर्व की तरह नियमितीकरण की तिथि से नियमित कर्मचारी के रूप में सभी लाभ देने के आदेश दिए हैं।

MP हाईकोर्ट के फैसले के आधार पर फैसला 

याचिका में बताया गया था कि जिस समय गुरु घासी राम यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया था। उसी से मध्य प्रदेश के सागर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाया गया था।यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित नहीं किया था, तब कर्मचारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दिया था। इस फैसले के आधार पर हाईकोर्ट ने गुरु घासी राम विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के पक्ष में भी आदेश जारी किया है और उन्हें नियमित कर्मचारियों के समान वेतन लाभ देने के निर्देश दिए थे।


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