साल में सिर्फ एक बार दिवाली के मौके पर खुलता है हसनंबा मंदिर, 800 साल पुराना है इतिहास, चिट्ठियां लिखकर मांगी जाती हैं मन्नतें

Hasanamba Temple Karnataka : हमारे देश में मंदिरों की कमी नहीं है और हर मंदिर के अपने अलग ही रहस्य होते हैं। ऐसी ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो कि कर्नाटक राज्य में स्थित है। जिसका कपाट भक्तों के दर्शन के लिए साल में सिर्फ एक बार ही खोले जाते हैं, जिसे देखने और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भारतवर्ष से श्रद्धालु वहां पहुँचते हैं। बताया जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 800 साल से ज्यादा पुराना है। आइए जानें विस्तार से यहां…

12वीं शताब्दी में किया गया निर्माण

दरअसल, इस मंदिर का हसनंबा नाम है। जिसका निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था जो कि अब 823 साल पुराना हो चुका है। इस मंदिर को दीवाली के एक सप्ताह पहले खोल दिया जाता है। बता दें कि इस मंदिर में माँ योगेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि माता के कपाट खुलते ही चमत्कारी घटनाएं होने लगती है। इस टेम्पल में 3 द्वार है, जिसका मुख्य मीनार द्रविड़ शैली में बनाया गया है। ऐसा कहा जाता है कि इसे होयसल वंश के। राजाओं द्वारा बनवाया गया था।

चिट्ठी लिखकर मांगते हैं मन्नत

प्राचीन काल से यहां भक्त देवी माँ को चिट्ठी लिखकर अपनी मन्नत मांगते हैं। बता दें की दीवाली के समय यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगता है। वहीं, कपाट बंद करते समय मंदिर के गर्भगृह में देवी माता की मूर्ति के सामने ज्योत जलाया जाता है। साथ ही पके हुए चावल का भोग लगाया जाता है। जिसकी खास बात यह है कि मंदिर के द्वार जब अगले साल दीवाली के मौके पर वापस खोला जाता है तो वह ज्योत वैसे ही जलता हुआ पाया है। कहा जाता है देवी माँ अपने भक्तों की लिखी हुई चिट्ठी की मन्नतें अवश्य पूर्ण करती हैं। इसलिए हर साल भक्त यहां पहुँच कर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मंदिर का इतिहास

वहीं, अब हम मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राक्षस अंधकासुर भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त कर धरती पर अत्याचार फैला दिया था। दरअसल, अंधकासुर ने कड़ी तपस्या कर अदृश्य होने का वरदान पा लिया था, जिससे परेशान और चिंतित होकर सभी देवी-देवतागण भगवान शिव के पास पहुँचे। उनकी चिंता को सुनकर भगवान शिव ने राक्षस के वध करने का निर्णय लिया। अंधकासुर को जब भी भगवान मारते तब उसके शरीर से टपकते रक्त की बूंदों से वो वापस जिंदा हो जाता। तब जाकर आखिर में भगवान शिव ने देवी योगेश्वरी को बनाया, जिन्होंने अंधकासुर का विनाश किया। तब से ही इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

कैसे पहुंचे हसनंबा मंदिर?

हवाई मार्ग: हसनंबा मंदिर के नजदीकी एयरपोर्ट बेंगलुरू (Kempegowda International Airport) है। आप बेंगलुरू एयरपोर्ट से वहां पहुंच सकते हैं और फिर वहां से टैक्सी या अन्य साधनों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
रेल मार्ग: यहां जाने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन बेंगलुरू, मैसूर या हुबली है जो कि हसनंबा मंदिर के लिए सड़क और रेलवे कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। आप इन स्थानों से ट्रेन या बस का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग: हसनंबा मंदिर आप टैक्सी, ऑटोरिक्शा या खुद की गाड़ी का इस्तेमाल करके पहुँच सकते हैं।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)

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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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