हाई कोर्ट का सख्त रवैया, इन कर्मचारियों के 1 माह के वेतन-पेंशन पर रोक, राज्य सरकार से मांगी ये जानकारी, दिए निर्देश

Pooja Khodani
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High Court  and Employees News : उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर अहम फैसला सुनाया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर सख्त रवैया अपनाया है। हाई कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं के एक-एक माह के वेतन और पेंशन पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि बिजली कर्मचारियों की हड़ताल गैरकानूनी और असंवैधानिक है।इस मामले की अगली सुनवाई अब 24 अप्रैल को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका में विभु राय की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है।कोर्ट ने केवल उन्हीं कर्मचारी नेताओं की सैलरी, पेंशन रोकने का आदेश दिया है, जिनको नोटिस जारी हुआ है। साथ ही यह भी कहा है कि रोका गया वेतन या पेंशन अभी जब्त नहीं की जाएगी। वह कोर्ट के आगे की सुनवाई के बाद जारी होने वाले आदेश पर निर्भर होगा।

दोबारा किया तो होगी कार्रवाई

हाई कोर्ट ने  चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस तरह का कृत्य दोबारा होता है, तो वह कानूनों के अनुसार कड़ी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा।  आमजन की सुविधाओं में हड़ताल बाधा नहीं हो सकती है और अस्पतालों, बैंकों सहित जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों के कामकाज बाधित नहीं किया जा सकता है।इसके साथ ही हाई कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं और सरकार के बीच होने वाली वार्ता पर किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है, लेकिन कहा कि   यह आदेश कर्मचारी यूनियन पर किसी मुद्दे पर चर्चा, विचार-विमर्श या बैठक करने पर रोक नहीं लगाता है। न ही सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच वार्ता पर किसी प्रकार की रोक होगी। न्यायालय इस मामले में दोनों पक्षों को हलफनामा दाखिल होने और कर्मचारी नेताओं की परेशानियों और असुविधाओं पर विचार करने के बाद अंतिम आदेश करेगी।

राज्य सरकार को निर्देश ये निर्देश

  1. कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने कहा कि इससे पहले कि हम दोषी कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करके नुकसान की वसूली का आदेश करें, नकुसान का सही आकलन होना जरूरी है। भविष्य में इस प्रकार का कार्य न करें, जो न्यायालय को हड़ताल करने वाले सभी कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए विवश करें। वही यूपी सरकार को हलफनामा दाखिल कर उन क्षेत्रों के बारे में जानकारी देने को कहा है, जहां नुकसान हुआ है।
  2. वही उन सभी कर्मचारी यूनियन व कर्मचारियों की सूची देने का निर्देश दिया है, जिन्होंने संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति को हड़ताल करने में सहयोग दिया ताकि हड़ताल से हुए नुकसान के लिए उन सभी को जिम्मेदार ठहराया जा सके।
  3. हाई कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल द्वारा अनुमानित क्षति के ब्योरे का हवाला भी अपने आदेश में दिया है,जिसमें बताया गया है कि उत्पादन, पारेषण व वितरण में 2,000 करोड़, उपभोक्ताओं को 5,000 करोड़ रुपये और व्यापारियों, अस्पतालों, उद्योगों, बैंकों, स्कूलों व संस्थानों को 30 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

 


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