Hijab Controversy: शर्लिन चौपड़ा का प्रियंका गांधी से सवाल, कॉलेज में बिकनी पहन सकते हैं ?

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। हिजाब विवाद के बीच आया प्रियंका गांधी का ट्वीट भी ट्रोलर्स के निशाने पर है। शर्लिन चौपड़ा ने प्रियंका के ट्वीट पर जवाब देते हुए उनसे सवाल किया है कि क्या कॉलेज में बिकनी पहन सकते हैं? यदि हां तो बताइये किस तरह की बिकनी पहन सकते हैं ? मेरे पास बहुत हैं मुझे दान करने में खुशी होगी।

कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद (Hijab Controversy) पर प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने ट्वीट कर अपना गुस्सा जाहिर किया था।  उत्तर प्रदेश चुनाव में लड़की हूँ लड़ सकती हूँ का नारा देने वाली प्रियंका गांधी उन लड़कियों के साथ खड़ी दिखाई दी जो स्कूल कॉलेज में भी हिजाब पहनना चाहती हैं।

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प्रियंका गांधी ने ट्वीट किया – महिलाओं को अपने हिसाब से कपड़े पहनने का अधिकार है, जो उन्हें संविधान से मिला है।  फिर चाहे वो बिकनी हो, घूँघट हो, जींस हो, या फिर हिजाब। ये महिला का अधिकार है वो जो पहनना चाहे , महिलाओं को परेशान करना बंद करो।

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प्रियंका गांधी द्वारा किये गए ट्वीट पर राजनेताओं से लेकर फ़िल्मी हस्ती कमेंट कर रहीं है, अपने ट्वीट में हिजाब, घूँघट के साथ बिकनी को शामिल करने पर प्रियंका गांधी ट्रोलर्स के निशाने पर हैं।  ट्रोलर्स बिकनी और हिजाब पहने महिलाओं के फोटो, बिकनी पहले स्कूल जाती लड़कियों के फोटो के साथ प्रियंका गांधी को रिप्लाई कर रहे हैं।

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इस बीच फिल्म ऐक्ट्रेस शालीन चौपड़ा (Sherlyn Chopra) ने भी प्रियंका गांधी को जवाब दिया है।  अक्सर अपने फोटो शूट और बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाली शर्लिन चौपड़ा ने प्रियंका गांधी से सवाल किया है।  शर्लिन ने प्रियंका से ट्वीट का जवाब देते हुए पूछा – श्रीमती वाड्रा भारतीय संविधान की आपकी समझ के अनुसार क्या शैक्षणिक संस्थाओं में लड़्कितयों को बिकनी पहनकर जाने की अनुमति है ? यदि हाँ तो किस तरह की ? माइक्रो बिकनी या फिर सी थ्रू (हलके कपड़े की)बिकनी।  मेरे पास ढेर सारि बिकनी हैं, यदि लड़कियां चाहती हैं तो मुझे ख़ुशी होगी इन्हें दान करने में।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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