History Of Doda Barfi Hindi: घूमने फिरने के लिहाज से एक बहुत ही खूबसूरत जगह है यहां पर एक से बढ़कर एक पर्यटक स्थल मौजूद है, जहां साल भर ही पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। ऐतिहासिक स्थल हो या फिर धार्मिक स्थान देश के साथ विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में अलग अलग जगहों पर घूमने के लिए पहुंचते हैं।
यहां कुछ जगह तो बहुत ही फेमस है जिनके बारे में सभी लोग जानते हैं लेकिन प्राचीन परंपरा और इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए भारत का स्वाद इतना निराला है की हर कोई यहां पर खींचा चला आता है। यहां के हर राज्य का अपना एक अलग और अनोखा स्वाद है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
बर्फी या फिर डोडा बर्फी का स्वाद तो आप में से कई लोगों ने चखा ही होगा। भारत के हर राज्य में यह मिठाई खाने के लिए मिल जाती है लेकिन आज हम आपको इस मिठाई के इन्वेंशन से जुड़ी एक ऐसी बात बताते हैं जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे।
यहां जानें History Of Doda Barfi
बहुत ही स्वादिष्ट लगने वाली डोडा बर्फी का इतिहास बिल्कुल चौंका देने वाला है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन इसे किसी प्लानिंग के तहत नहीं बनाया गया था। जब भी किसी चीज का अविष्कार किया जाता है तो उसके बारे में अलग-अलग रिसर्च की जाती है। कई बार टेस्ट किया जाता है फिर कोई चीज तैयार होती है लेकिन डोडा बर्फी का इतिहास इन सब से बिल्कुल अलग है।
पहलवान ने बनाई थी डोडा बर्फी
पहलवान और बर्फी का भला क्या संबंध हो सकता है ये बात आप सभी के मन में आ रही होगी, लेकिन ये वाकई में सच गई कि डोडा बर्फी एक हट्टे कट्टे पहलवान ने तैयार की थी।
सबका जी ललचाने वाली इस मिठाई को भारत पाकिस्तान के बंटवारे से पहले सन 1912 में तैयार किया गया था। इसे पंजाब के पहलवान लाला हंसराज विज ने तैयार किया था। जाहिर सी बात है कि वह पहलवान थे तो उनकी डाइट में दूध और घी जैसी चीजें शामिल रहती थी। लेकिन रोज रोज वो इन चीजों को खाकर परेशान हो गए थे और स्वाद से तंग आकर उन्होंने इस मिठाई को बना डाला था।
ऐसे बनाई बर्फी
पहलवान ने दूध और घी को ड्राई फ्रूट्स और शक्कर के साथ मिलाया और एक नई चीज तैयार की। इसे चखकर देखने पर जब उन्हें इसका स्वाद अच्छा लगा तो उन्होंने इसे बर्फी का आकार दे दिया। वही आकार जिसे हम बड़े ही स्वाद से खाते हैं।
घर घर पहुंची डोडा बर्फी
पंजाब के पहलवान के घर से निकलकर यह डोडा बर्फी देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में पहुंची और आज हर कोई इसका दीवाना है। ये ऐसी चीज है जिसे थोड़ा ही सही लेकिन मीठा ना खाने वाले भी चख ही लेते हैं।
इसे खाने के लिए भी थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि यह मुंह में रखने के साथ घुलती नहीं है इसे चबाना पड़ता है। इसे बनाने में भी घंटों की मेहनत लगती है।
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पंजाब में है पहलवान की दुकान
अब ये भी बड़ा सवाल है कि ये मिठाई पहलवान के घर से निकलकर लोगों की पसंद कैसे बन गई। हम आपको बता दें कि जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो हंसराज विज ने पंजाब के कोतकापुरा में रॉयल डोडा हाउस नामक एक दुकान खोली। धीरे धीरे इस स्वाद की डिमांड देश से लेकर विदेशों तक पहुंच गई और आज भी ये दुकान वहां पर मौजूद है। इतने सालों बाद भी वहीं स्वादिष्ट स्वाद यहां आने वालों को आकर्षित करता है। अगर आप भी पंजाब जाएं तो इसका स्वाद लेना ना भूलें।