Mother’s Day 2023 : ‘मां’ का तो हर दिन और हर पहर है, मां की उर्वर ममता के तले पल्लवित होती है “पारिवारिकता”

Mother’s Day 2023 : जिस मां ने जन्म दिया, जिसने अपने रक्त से सींचा, अपने गर्भ में रखा, तमाम मुश्किलों के बावजूद पाल पोस कर बड़ा किया, उसके लिए साल का 1 दिन कैसे हो सकता है। साल का हर दिन और हर क्षण मां को समर्पित है। फिर भी मदर्स डे के दिन मां के प्रति आभार प्रदर्शन के साथ-साथ अपने स्वयं के अंतर में झांकने का अवसर मिलता है। यह दिन मां को समर्पित है। मदर्स डे मां और बच्चों के लिए एक खास दिन है। माताओं के लिए प्रशंसा और प्यार दिखाने का दिन है।

नारायणी का भी पूजन का विधान भारतीय संस्कृति का अभिन्न अनुष्ठान 

भारत में तो एक नहीं दो-दो बार नवदुर्गा का पर्व आता है और सर्वशक्तिमान मां की आराधना में पूरा देश डूबा रहता है। जो भारत में अनादिकाल से है उसे यूरोप और अमेरिका तक पहुंचने में कई सदियां लग गई। इसलिए सबसे पहली बार अमेरिका में 1908 में अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस ने मदर्स डे की शुरुआत की, हालांकि अमेरिका और यूरोप के विद्वान कहते हैं कि प्राचीन ग्रीक और अन्य सभ्यताओं में मदर्स डे का प्रचलन था। शायद ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि उन्हें किस बात का इल्म है कि भारत में अनंत काल से देवी को मां के रूप और मां को देवी के रूप में पूजा जाता है। नारायण ही नहीं नारायणी का भी पूजन का विधान भारतीय संस्कृति का अभिन्न अनुष्ठान है।


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Kashish Trivedi

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