प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू ने धर्मांतरण को लेकर बड़ा बयान दिया है। दरअसल इस समय वह जबलपुर में राम कथा कर रहे हैं। वहीं मुरारी बापू ने कहा है कि देश और गुजरात में लालच देकर धर्म बदलवाने की घटनाएं चिंता बढ़ा रही हैं। मुरारी बापू ने मिशनरी गतिविधियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सेवा के नाम पर धर्म क्यों बदला जा रहा है। दरअसल मुरारी बापू ने गीता और रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों को लेकर कहा कि ये जीवन की सीख देने वाले ग्रंथ हैं, इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए।
जबलपुर में राम कथा कर रहे मुरारी बापू ने कहा कि समाज में धर्मांतरण का मुद्दा तेजी से बढ़ रहा है और कई जगह इसे लेकर असंतोष भी देखने को मिला है। आदिवासी क्षेत्रों में भ्रम दूर करने के लिए वह हर महीने एक बार राम कथा कहते हैं ताकि लोग स्वधर्म का महत्व समझ सकें।
पहले लोगों का भरोसा जीतते हैं और इसके बाद धर्म बदलवाते हैं: मुरारी बापू
दरअसल मुरारी बापू का कहना है कि कुछ समूह सेवा का उद्देश्य दिखाकर पहले लोगों का भरोसा जीतते हैं और इसके बाद धर्म बदलवाते हैं, जो सही तरीका नहीं है। इस दौरान मुरारी बापू ने श्रीकृष्ण के संदर्भ में कहा कि स्वधर्म का पालन सबसे महत्वपूर्ण है और इसे लेकर जागरूकता भी जरूरी है। मुरारी बापू ने स्पष्ट किया कि देश में इस समय लालच, प्रलोभन या सुविधा देकर लोगों को धर्म बदलवाने की कोशिश की जा रही है, जो सामाजिक तनाव को जन्म दे रही है। जब सेवा का सही मकसद लोगों की मदद करना है, तो फिर उसके बाद धर्म बदलने की जरूरत क्यों पड़ती है।
हिंदुत्व का दायरा बहुत बड़ा : मुरारी बापू
वहीं मुरारी बापू ने इस तरह की गतिविधियों को समाज में भ्रम और असंतुलन बढ़ाने वाला बताया है। उनके मुताबिक हिंदुत्व का दायरा बहुत बड़ा है और यह किसी को बाहर नहीं करता है, बल्कि इसका काम एक-दूसरे को जोड़ने का है। धर्म गुरुओं को अपने बयानों में समाज पर पड़ने वाले असर को भी समझना चाहिए। मुरारी बापू ने इस दौरान साधु की सही परिभाषा भी बताई है। दरअसल, उनके मुताबिक साधु वही है जो विवाद पैदा नहीं करता, बल्कि समाधान और शांति का रास्ता दिखाता है। मुरारी बापू ने देश में बढ़ रही आपसी दूरी, क्रोध और गुस्से जैसी भावनाओं पर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि भारत की ताकत उसकी एकता में है, न कि मतभेदों में। इसलिए हम सभी को एक होकर रहना चाहिए।
संदीप कुमार





