NEET Paper Leak : इन दिनों NEET परीक्षा विवाद सुर्खियों में बना हुआ है। इसी कड़ी में झारखंड की देवघर पुलिस ने देवघर से 6 लोगों को हिरासत में लिया है। जिन्हें अब बिहार के पटना ले जाया जाएगा। बता दें कि मामले में अब तक कुल 19 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। झारखंड और बिहार दोनों राज्यों की पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि NEET का पेपर झारखंड से ही लीक हुआ था। जिस कारण छात्रों और अभिभावकों में भारी निराशा और आक्रोश है। फिलहाल, पुलिस इसकी जांच कर रही है। उम्मीद है कि जल्द ही अन्य दोषियों को भी पकड़ लिया जाएगा।
5 मई को हुई थी परीक्षा
बता दें कि 5 मई को NEET परीक्षा का आयोजन हुआ था। पुलिस को पेपर लीक होने की जानकारी मिलते ही वह वहां पहुंची, लेकिन वहां पेपर जला हुआ मिला और बुकलेट नंबर 6136488 बरामद की गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह बुकलेट हजारीबाग के एक केंद्र की है, जिससे यह माना जा रहा है कि पेपर झारखंड से ही लीक हुआ था। वहीं, पुख्ता सबूत मिलने के बाद 19 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। फिलहाल, पुलिस इस षड्यंत्र में शामिल अन्य लोगों की तलाश कर रही है।
पुलिस ने संजीव के घर पर की छापेमारी
इधर मामले में गुरुवार को उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने तेजस्वी यादव के निजी सचिव और बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रीतम कुमार पर आरोप लगाया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि उनकी सिफारिश पर ही एचएचआईवी में निलंबित जेई सिकंदर यादवेंदु के साले के बेटे अनुराग और उसकी मां रीना को ठहराया गया था। वहीं, जांच एजेंसी प्रीतम कुमार को भी नोटिस भेजकर उनसे पूछताछ कर सकती है। इसके अलावा, एजेंसी ने नालंदा पुलिस को नोटिस भेजकर संजीव मुखिया को गिरफ्तार करने को कहा है। जिसपर त्वरित कार्रवाई करते हुए नालंदा पुलिस ने संजीव के घर पर छापेमारी की, लेकिन वह मौके से फरार थे।
री-टेस्ट कराने का नहीं लिया फैसला
नीट पेपर लीक मामले पर केंद्र सरकार ने अभी तक री-टेस्ट कराने का फैसला नहीं लिया है। बता दें कि प्री-मेडिकल टेस्ट के 2004 और 2015 के मामलों में जब पेपर लीक हुआ था, तो उस समय सीबीएसई ने त्वरित कार्रवाई की थी। दरअसल, 2004 में जब पहली बार पेपर लीक का मामला सामने आया था और 13 छात्रों के पेपर खरीदने की बात सामने आई थी, तो सीबीएसई ने परीक्षा को रद्द कर दोबारा कराने का फैसला किया था। वहीं, साल 2015 में सीबीएसई ने जब पेपर लीक मामला सामने आया था, उस समय संगठन ने दावा किया था कि लीक मामले में केवल 44 छात्रों शामिल थे। इसके बावजूद, दोबारा परीक्षा का आयोजन किया गया था और 6 लाख बच्चों को इसमें शामिल किया गया था।