सियासत: संसद में बहुमत साबित नहीं कर पाए प्रधानमंत्री, देना होगा पद से इस्तीफा

Pooja Khodani
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नेपाल, डेस्क रिपोर्ट। नेपाल (Nepal Politics) की सियासत में बड़ा राजनीतिक संकट गहरा गया है।  प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (Prime Minister KP Sharma Oli) संसद में बहुमत साबित करने में असफल हो गए है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सोमवार को हुई वोटिंग में  महज 93 वोट ही मिले जबकि 124 सांसदों ने उनके खिलाफ मतदान किया।इसके अलावा 15 ने किसी भी पक्ष में मतदान नहीं किया।इस घटनाक्रम के बाद अब ओली को अपने पद से इस्तीफा देना होगा।

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दरअसल, नेपाल में राजनीति संकट पिछले साल 20 दिसंबर 2020 में शुरु हुआ था, जब राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की अनुशंसा पर संसद को भंग कर 30 अप्रैल और 10 मई को नए सिरे से चुनाव कराने का निर्देश दिया था। वही प्रचंड नीत दल के सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई थी, इसके बाद से ही नेपाल में विरोध के स्वर तेजी से फूट रहे थे।

इसके बाद आज संसद (Nepal Parliament) में ओली को अपना बहुमत साबित करना था लेकिन नहीं कर पाए।हालांकि वोटिंग से पहले सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (UML) ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर प्रधानमंत्री के पक्ष में मतदान का अनुरोध किया था, लेकिन बावजूद इसके वे बहुमत हासिल नही कर पाए।सितंबर 2015 में लागू किए गए नए संविधान ने बाद यह पहला मौका है जब कोई सरकार विश्वास मत हार गई है।

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बता दे कि नेपाल में 275 लोकसभा सीटे है, जिसमें जीत के लिए 136 वोटों की जरुरत होती है, लेकिन प्रधानमंत्री ओली को सिर्फ 93 वोट मिले। विश्वास मत के खिलाफ 124 वोट पड़े। 15 सांसद तटस्थ रहे जबकि 35 सांसद वोटिंग से गायब रहे। इसके साथ ही आर्टिकल 100(3) के मुताबिक अपने आप ही ओली PM पद से मुक्त हो गए।इस निर्णय के बाद ओली को राष्ट्रपति के सामने अपना इस्तीफा देना होगा, जिसके बाद नई सरकार बनाने पर विचार किया जाएगा

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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