IAS Success Story : पिता के निधन के बाद किया पंक्चर बनाने का काम, किताबें उधार लेकर की UPSC की तैयारी, पाई 32वीं रैंक और बन गए अफसर

Pooja Khodani
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IAS Varun Baranwal Success Story : संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं मानी जाती है। इस परीक्षा में हर साल लाखों उम्मीदवार शामिल होते है, जिसमें से कुछ ही उम्मीदवार कड़ी मेहनत और लगन से इसे क्वालीफाई कर सफल होते है और अफसर बनते है। आज आईएएस सक्सेस स्टोरी सेगमेंट में हम आपको बताने जा रहे है आईएएस ऑफिसर वरुण बरनवाल की संघर्ष की कहानी जिन्होंने बेहद कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया था और फिर  साइकिल का पंक्चर बनाकर अपना और अपने घर का गुजारा किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी लगन और मेहनत से साल 2016 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया 32वीं रैंक हालिक कर आईएएस ऑफिसर बन गए।

पढ़िए आईएएस वरुण बरनवाल की सफलता की कहानी

  • आईएएस अधिकारी वरुण बरनवाल महाराष्ट्र के शहर बाइसोर के रहने वाले है। बचपन से उनका डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ नई कहानी लिख रखी थी।
  • छोटी सी उम्र में पिता की मौत के बाद परिवार का भार वरुण के कंधो पर आ गया, इस दौरान उन्होंने स्कूल की पढ़ाई को जारी रखते हुए ही पिता का साइकिल मरम्मत का काम संभाला और पंचर जोड़कर परिवार का गुजारा करने लगे।
  • पढ़ाई में तेज वरुण ने ना सिर्फ 10वीं की परीक्षा दी बल्कि पूरे शहर में दूसरा स्थान पाया था। लेकिन परिवार की जिम्मेदारी के चलते उन्होंने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी है।लेकिन एक परिचित डॉक्टर ने उनको पढ़ाई दोबारा शुरू करने की सलाह दी और वरुण का कॉलेज में एडमिशन भी करवा दिया।
  • 12वीं करने के बाद वरुण ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। घर और  आगे की पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए वरुण ने साइकिल की दुकान चलाने के साथ बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाना शुरू कर दिया।
  • काम और पढ़ाई के प्रति लगन और जस्बे से वरुण की मेहनत रंग लाई और  उन्होंने पहले सेमेस्टर में ही टॉप कर लिया। इस कारण से कॉलेज में उन्हें स्कॉलरशिप भी मिल गई।
  • इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने एक मल्टी नेशनल कंपनी में नौकरी हासिल की। वरुण के परिवार ने उन्हें एमएनसी की नौकरी में बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन उन्होंने सरकारी सेवा में अपना करियर बनाना पसंद किया और कई लोगों से किताबें उधार लेकर पढ़ाई की। इंजीनियरिंग करने के बाद वरुण ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी।
  • करीब 8 साल की मेहनत के बाद वरूण ने सिविल सेवा परीक्षा को 32वीं रैंक के साथ IAS अफसर बनकर  इबारत की नई कहानी लिख दी। बता दें कि वरुण ने समाजसेवी अन्ना हजारे के जनलोकपाल बिल के लिए हुए आंदोलन में भी सहभागिता की थी।

क्या आप जानते है एक IAS अफसर कितनी मिलती है सैलरी

 

  • IAS ऑफिसर उच्च श्रेणी के अधिकारी होते हैं, जिन्हें सातवें वेतनमान के तहत सैलरी दी जाती है।एक IAS ऑफिसर की सैलरी 56,100 रुपए महीने से लेकर 2,25,000 तक होती है।
  • सभी भत्ते मिलाकर एक आईएएस अधिकारी को शुरुआती दिनों में कुल 1 लाख रुपये प्रतिमाह से ज्यादा सैलरी मिलती है
  • स्वास्थ, आवास, यात्रा समेत कई तरह की सुविधाओं के लिए पैसा भत्ते के रूप में दिया जाता है। अलग-अलग पे-बैंड के हिसाब से अन्य लग्जरी सुविधाएं भी मिलती हैं।
  • बेसिक सैलरी के अलावा डियरनेस अलाउंस (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA), सब्सिडाइज्ड बिल, मेडिकल अलाउंस और कन्वेंस अलाउंस दी मिलती है।
  • पे-बैंड के आधार पर एक आईएएस अधिकारी को घर, सिक्योरिटी, कुक और अन्य स्टाफ समेत कई सुविधाएं भी मिलती हैं।आने-जाने के लिए गाड़ी और ड्राइवर की भी सुविधा दी जाती है।
  • पोस्टिंग के दौरान कहीं जाने पर ट्रैवल अलाउंस के अलावा वहां सरकारी घर भी दिया जाता है।मुफ्त में या फिर अधिक सब्सिडी पर बिजली और टेलिफोनिक सेवाएं मिलती है।

 

नोट- यह सारी जानकारी विभिन्न माध्यमों/स्त्रोतों से जुटाई गई है, इसमें बदलाव भी हो सकता है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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