मंत्रालय ने कई मीडिया रिपोर्टों और उपभोक्ताओं द्वारा राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायतों पर ध्यान देते हुए यह फैसला लिया है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने एनआरएआई अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा था कि रेस्तरां और भोजनालय उपभोक्ताओं से डिफ़ॉल्ट रूप से सेवा शुल्क वसूल रहे हैं, जबकि यह संग्रह स्वैच्छिक है।
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सचिव ने कहा था कि उपभोक्ताओं को रेस्तरां द्वारा मनमाने ढंग से उच्च दरों पर निर्धारित सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सचिव ने आगे कहा कि उपभोक्ताओं को इस तरह के आरोपों की कानूनी स्थिति पर ‘गलत तरीके से गुमराह’ किया जा रहा था और रेस्तरां द्वारा परेशान किया जा रहा था। बार बार इसे बिल से हटाने के लिए कहा जा रहा था पर यह मान नहीं रहे थे और उपभोक्ताओं से पैसे वसूल कर रहे थे।
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“सर्विस टैक्स का मुद्दा होटल में खाना खाने वाले ग्राहकों को दैनिक आधार पर प्रभावित कर रहा है। यह जबरदस्ती का पेमेंट उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन कर रहा है। इसलिए इस पर निर्णय लेना महत्वपूर्ण हो गया था। विभाग ने बार बार आ रही शिकायतों से वाकिफ होकर विभाग ने इसकी करीब से जांच की और विस्तार से समझा।” अब मंत्रालय की फटकार के बाद रेस्तरां एसोसिएशन इसको हटा देगा। जिसके बाद होटल और रेस्टोरेंट में खाना सस्ता हो जायेगा।