9 अगस्त को क्यों मनाते हैं World Tribal Day, जानें आदिवासियों का रोचक इतिहास

आदिवासी समाज की मुख्य धारा से दूर एक ऐसी जनजाति है जो प्रकृति से बहुत करीब से जुड़ी हुई है। इस जनजाति के सारे त्यौहार प्रकृति से जुड़े हैं। इन्हें संरक्षित करने और उनके योगदान को याद करने के लिए 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है।

Diksha Bhanupriy
Published on -

World Tribal Day: आदिवासी एक ऐसी जनजाति है जो दुनिया भर के 90 से ज्यादा देशों में निवास करती है। सभी जगह पर इनकी संस्कृति, परंपरा, रहन-सहन और खानपान अलग-अलग है। आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को सशक्त बनाकर रखने के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 42 साल पहले इस दिन को मनाने की घोषणा की थी। चलिए आज आपको बताते हैं कि भारत में कितनी आबादी आदिवासियों की है और इस दिन का महत्व क्या है।

आदिवासी दिवस का इतिहास

आदिवासी दिवस मनाया जाने की शुरुआत 1982 में की गई थी। इन लोगों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस घोषित किया था। यह एक ऐसा समुदाय है जो लंबे समय से आर्थिक, सामाजिक और प्राकृतिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस दिन के जरिए आदिवासियों के योगदान को याद किया जाता है। इनके अधिकारों के लिए काम करने का संकल्प भी लोगों को दिलाया जाता है।

भारत में आदिवासी आबादी

भारत में रहने वाले आदिवासियों की आबादी लगभग 104 मिलियन है। यह देश की आबादी का 8% हिस्सा है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उड़ीसा और झारखंड में सबसे ज्यादा आदिवासी जनजाति निवास करती है। इस जनजाति के प्रति जो जागरूकता फैलाई गई है। उसके परिणाम स्वरूप बांसवाड़ा और डूंगरपुर जैसे इलाकों में आदिवासी पार्टी के जनप्रतिनिधि इस समाज का प्रतिनिधित्व करते दिखाई दे रहे हैं।

भारत में रहने वाले आदिवासियों की बात करें तो मध्य प्रदेश में भील, गोंड, कोरकू, सहरिया, बैगा और आरोन जनजाति के लोग रहते हैं। गोंड जनजाति एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी समूह है, जिनकी संख्या 30 लाख से ज्यादा है। मध्य प्रदेश के अलावा यह लोग छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में भी रहते हैं। इसके अलावा लोहारा, बिहोर, बंजारा, हो, खोंड, संथाल, मुंडा, ओरांव, माई पहरिया जैसी जनजाति देश के अलग-अलग राज्यों में निवास करती है।

आदिवासियों की रोचक बातें

आदिवासी समुदाय की संस्कृति, त्यौहार, भाषा, रीति रिवाज और पहनावा समाज के अन्य लोगों से बिल्कुल अलग होता है। यही कारण है कि समाज के मुख्य धारा से जुड़ पाने में आज भी इन्हें परेशानी होती है। दिन पर दिन की संख्या घट रही है और उनके अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष जारी है। आदिवासियों का मुख्य आहार पेड़ पौधों से जुड़ा हुआ है। इनके जितने भी त्यौहार है वह प्रकृति से जुड़े होते हैं। दुनिया भर में आदिवासियों की संख्या की बात की जाए तो लगभग 500 मिलियन आदिवासी हैं, जो 5000 अलग-अलग संस्कृतियों को मानते हैं और 7000 भाषाएं बोलते हैं। दुनिया की 22% भूमि पर आदिवासी रहते हैं और इन्हीं की वजह से पर्यावरण को संरक्षण मिला हुआ है।


About Author
Diksha Bhanupriy

Diksha Bhanupriy

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

Other Latest News