Chanakya Niti : आचार्य चाणक्य को प्राचीन भारत के महान राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री माना जाता है। जिन्होंने चंद्रगुप्त को नंद वंश के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने और मौर्य साम्राज्य की स्थापना के लिए मार्गदर्शन किया। वह चंद्रगुप्त मौर्य के प्रमुख सलाहकार थे और उन्होंने चंद्रगुप्त को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिन्हें कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। चाणक्य का जन्म लगभग 350 से 400 ईसा पूर्व में हुआ था। जिसके बाद उन्होंने गुरूकुल से अपनी शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवनकाल में उन्होंने अर्थशास्त्र, कुटनीति, चाणक्य नीति जैसे ग्रंथों की रचना की। जिसमें उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, और युद्धनीति के सिद्धांतों का वर्णन किया है। साथ ही जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है। जिसे आज भी बड़े-बड़े लोगों द्वारा अपनाई जाती है। बता दें कि उनकी नीतियों में “साम, दाम, दंड, भेद” का विशेष उल्लेख मिलता है, जो राजनीति और शासन के चार मुख्य साधन माने जाते हैं। आइए जानते हैं विस्तार से…
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में “साम, दाम, दंड, भेद” को राजनीति और शासन के चार मुख्य साधन बताया है। ये चार सिद्धांत प्राचीन भारतीय राजनीति और कूटनीति के महत्वपूर्ण आधार थे।
साम
साम का अर्थ बातचीत और समझौते के माध्यम से समस्याओं का समाधान करना होता है। यदि किसी राजा को अपने शत्रु को पराजित करना है, तो वह सबसे पहले बातचीत और समझौते का प्रयास करेगा ताकि बिना युद्ध के समस्या का समाधान हो सके। इसका उपयोग करके किसी भी विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाया जा सकता है, जिससे हिंसा और संघर्ष से बचा जा सकता है।
दाम
दाम का अर्थ धन या प्रलोभनों के माध्यम से किसी को अपने पक्ष में करना होता है। यदि किसी को अपने पक्ष में करना हो, तो उसे धन या अन्य उपहार देकर प्रभावित किया जा सकता है।
दंड
दंड का अर्थ सजा या बल का उपयोग करके समस्या का समाधान करना होता है। यदि कोई व्यक्ति या समूह समझौते या प्रलोभन से नहीं मानता, तो उसे दंड देकर उसे नियंत्रित किया जा सकता है।
भेद
भेद का अर्थ फूट डालना या विभाजन करना होता है। चाणक्य नीति के अनुसार, इसमें विरोधियों के बीच असहमति या विभाजन पैदा करके शासन किया जाता है। बता दें कि भेद का उपयोग करके शत्रु की शक्ति को कमजोर किया जा सकता है और उसे पराजित करना आसान हो जाता है।
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