Ashadha Amavasya 2024: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 05 जुलाई को आषाढ़ अमावस्या है। यह पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किए गए दान का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही, इस दिन श्री हरि और पितरों की पूजा-अर्चना की जाती है। पितरों की पूजा करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और वे अपने वंशजों पर आशीर्वाद बरसाते हैं। इसके अलावा, आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं।
1. तर्पण और पिंडदान
पितृ पक्ष की शुरुआत में तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत शुभ होता है। आप स्वयं या किसी ब्राह्मण द्वारा तर्पण और पिंडदान करवा सकते हैं। तर्पण और पिंडदान करते समय पितरों का नाम, गोत्र और मृत्यु तिथि का उच्चारण अवश्य करें।
2. श्राद्ध कर्म
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करना पितरों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। आप अपनी क्षमता अनुसार पितरों के लिए श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। श्राद्ध कर्म करते समय पितरों के प्रिय भोजन का भोग लगाना और दान-पुण्य करना शुभ होता है।
3. दीपदान
पितृ पक्ष में दीपदान करना पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है। आप गंगा नदी, तीर्थ स्थल या घर पर दीपदान कर सकते हैं। दीपदान करते समय तिल का तेल और गंगाजल का उपयोग शुभ होता है।
4. पितृ गीता का पाठ
पितृ पक्ष में पितृ गीता का पाठ करना पितरों के प्रति स्नेह और श्रद्धा का प्रतीक है। आप पितृ गीता का पाठ स्वयं या किसी ब्राह्मण द्वारा करवा सकते हैं। पितृ गीता का पाठ करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
5. पितरों की स्मृति में दान-पुण्य
पितृ पक्ष में पितरों की स्मृति में दान-पुण्य करना अत्यंत पुण्य कार्य माना जाता है। आप अपनी क्षमता अनुसार गरीबों, जरूरतमंदों या किसी धार्मिक संस्था को दान कर सकते हैं। पितरों की स्मृति में दान-पुण्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
(Disclaimer- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं के आधार पर बताई गई है। MP Breaking News इसकी पुष्टि नहीं करता।)