Puja Path Niyam: घर के मंदिर में करें इन 5 नियमों का पालन, सफल होगी पूजा, प्रसन्न होंगे भगवान, जीवन में आएगी खुशहाली

घर में मंदिर रखते समय कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है। ऐसा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।

Puja Path Niyam

Puja Path Niyam: मंदिर को ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है। घर में विधि-विधान और वस्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर रखने में जीवन में सुख-समृद्धि आती है। बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है। मंदिर को सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। लेकिन घर में मंदिर रखने वाले लोगों को कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है। जिसका उल्लेख्य शास्त्रों में भी किया गया है।

साफ-सफाई जरूरी

घर के मंदिर में नियनमित तौर पर साफ-सफाई करनी चाहिए। सफाई पूरी हो जाए तो गंगाजल को छीटना न भूलें। शनिवार के दिन मंदिर की सफाई करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। गुरुवार और एकादशी के दिन सफाई करना शुभ नहीं माना जाता।

मंदिर में लगाएं पर्दा

मंदिर में पर्दा लगाना बहुत जरूरी माना जाता है। सोने से पहले मंदिर को पर्दे से ढक देना चाहिए। यह समय देवी-देवताओं के सोने का होता है।

सही दिशा और स्थान पर रखें मंदिर

घर में मंदिर रखते समय दिशा का ख्याल रखना चाहिए। घर का मंदिर हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित होना चाहिए। मंदिर के आसपास या सामने शौचायल नहीं होना चाहिए। बेडरूम में कभी भी मंदिर नहीं होना चाहिए।

मूर्तियों से जुड़े इन बातों का रखें ख्याल 

घर के मंदिर में रखी जाने वाली मूर्तियाँ खंडित नहीं होनी चाहिए। देवी-देवताओं की मूर्तियों को वस्त्र जरूर पहनाना चाहिए। कभी भी मंदिर में नग्न मूर्तियाँ न रखें। कभी भी मूर्ति को दीवार से चिपका कर नहीं रखना चाहिए।

ऐसा मंदिर घर पर रखें

घर में हमेशा शीशम की लकड़ी, आम की लकड़ी या सगवान की लकड़ी की निर्मित मंदिर को रखना चाहिए। मंदिर के ऊपर गुंबद बना होना चाहिए।

(Disclaimer: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी साझा करना है, जो पंचांग, ग्रंथों, मान्यताओं और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है। MP Breaking News इन बातों के सत्यता और सटीकता की पुष्टि नहीं करता।)


About Author
Manisha Kumari Pandey

Manisha Kumari Pandey

पत्रकारिता जनकल्याण का माध्यम है। एक पत्रकार का काम नई जानकारी को उजागर करना और उस जानकारी को एक संदर्भ में रखना है। ताकि उस जानकारी का इस्तेमाल मानव की स्थिति को सुधारने में हो सकें। देश और दुनिया धीरे–धीरे बदल रही है। आधुनिक जनसंपर्क का विस्तार भी हो रहा है। लेकिन एक पत्रकार का किरदार वैसा ही जैसे आजादी के पहले था। समाज के मुद्दों को समाज तक पहुंचाना। स्वयं के लाभ को न देख सेवा को प्राथमिकता देना यही पत्रकारिता है।अच्छी पत्रकारिता बेहतर दुनिया बनाने की क्षमता रखती है। इसलिए भारतीय संविधान में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ बताया गया है। हेनरी ल्यूस ने कहा है, " प्रकाशन एक व्यवसाय है, लेकिन पत्रकारिता कभी व्यवसाय नहीं थी और आज भी नहीं है और न ही यह कोई पेशा है।" पत्रकारिता समाजसेवा है और मुझे गर्व है कि "मैं एक पत्रकार हूं।"

Other Latest News